Samaysar-Gujarati (Devanagari transliteration). Kalash: 81-83.

< Previous Page   Next Page >


Page 222 of 642
PDF/HTML Page 253 of 673

 

समयसार
[ भगवानश्रीकुंदकुंद-
(उपजाति)
एकस्य चैको न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।८१।।
(उपजाति)
एकस्य सान्तो न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।८२।।
(उपजाति)
एकस्य नित्यो न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ

नयनो पक्ष छे अने [ न तथा ] जीव भाव नथी [ परस्य ] एवो बीजा नयनो पक्ष छे; [ इति ] आम [ चिति ] चित्स्वरूप जीव विषे [ द्वयोः ] बे नयोना [ द्वौ पक्षपातौ ] बे पक्षपात छे. [ यः तत्त्ववेदी च्युतपक्षपातः ] जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे [ तस्य ] तेने [ नित्यं ] निरंतर [ चित् ] चित्स्वरूप जीव [ खलु चित् एव अस्ति ] चित्स्वरूप ज छे. ८०.

श्लोकार्थः[ एकः ] जीव एक छे [ एकस्य ] एवो एक नयनो पक्ष छे [ च ] अने [ न तथा ] जीव एक नथी [ परस्य ] एवो बीजा नयनो पक्ष छे; [ इति ] आम [ चिति ] चित्स्वरूप जीव विषे [ द्वयोः ] बे नयोना [ द्वौ पक्षपातौ ] बे पक्षपात छे. [ यः तत्त्ववेदी च्युतपक्षपातः ] जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे [ तस्य ] तेने [ नित्यं ] निरंतर [ चित् ] चित्स्वरूप जीव [ खलु चित् एव अस्ति ] चित्स्वरूप ज छे. ८१.

श्लोकार्थः[ सान्तः ] जीव सांत (अंत सहित) छे [ एकस्य ] एवो एक नयनो पक्ष छे अने [ न तथा ] जीव सांत नथी [ परस्य ] एवो बीजा नयनो पक्ष छे; [ इति ] आम [ चिति ] चित्स्वरूप जीव विषे [ द्वयोः ] बे नयोना [ द्वौ पक्षपातौ ] बे पक्षपात छे. [ यः तत्त्ववेदी च्युतपक्षपातः ] जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे [ तस्य ] तेने [ नित्यं ] निरंतर [ चित् ] चित्स्वरूप जीव [ खलु चित् एव अस्ति ] चित्स्वरूप ज छे. ८२.

श्लोकार्थः[ नित्यः ] जीव नित्य छे [ एकस्य ] एवो एक नयनो पक्ष छे अने [ न

२२२