Samaysar-Gujarati (Devanagari transliteration). Kalash: 84-85.

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कहानजैनशास्त्रमाळा ]

कर्ताकर्म अधिकार
२२३
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।८३।।
(उपजाति)
एकस्य वाच्यो न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।८४।।
(उपजाति)
एकस्य नाना न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।८५।।

तथा ] जीव नित्य नथी [ परस्य ] एवो बीजा नयनो पक्ष छे; [ इति ] आम [ चिति ] चित्स्वरूप जीव विषे [ द्वयोः ] बे नयोना [ द्वौ पक्षपातौ ] बे पक्षपात छे. [ यः तत्त्ववेदी च्युतपक्षपातः ] जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे [ तस्य ] तेने [ नित्यं ] निरंतर [ चित् ] चित्स्वरूप जीव [ खलु चित् एव अस्ति ] चित्स्वरूप ज छे. ८३.

श्लोकार्थः[ वाच्यः ] जीव वाच्य (अर्थात् वचनथी कही शकाय एवो) छे [ एकस्य ] एवो एक नयनो पक्ष छे अने [ न तथा ] जीव वाच्य (वचनगोचर) नथी [ परस्य ] एवो बीजा नयनो पक्ष छे; [ इति ] आम [ चिति ] चित्स्वरूप जीव विषे [ द्वयोः ] बे नयोना [ द्वौ पक्षपातौ ] बे पक्षपात छे. [ यः तत्त्ववेदी च्युतपक्षपातः ] जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे [ तस्य ] तेने [ नित्यं ] निरंतर [ चित् ] चित्स्वरूप जीव [ खलु चित् एव अस्ति ] चित्स्वरूप ज छे. ८४.

श्लोकार्थः[ नाना ] जीव नानारूप छे [ एकस्य ] एवो एक नयनो पक्ष छे अने [ न तथा ] जीव नानारूप नथी [ परस्य ] एवो बीजा नयनो पक्ष छे; [ इति ] आम [ चिति ] चित्स्वरूप जीव विषे [ द्वयोः ] बे नयोना [ द्वौ पक्षपातौ ] बे पक्षपात छे. [ यः तत्त्ववेदी च्युतपक्षपातः ] जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे [ तस्य ] तेने [ नित्यं ] निरंतर [ चित् ] चित्स्वरूप जीव [ खलु चित् एव अस्ति ] चित्स्वरूप ज छे. ८५.