Samaysar-Gujarati (Devanagari transliteration). Kalash: 95-96.

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कहानजैनशास्त्रमाळा ]

कर्ताकर्म अधिकार
२३१
(अनुष्टुभ्)
विकल्पकः परं कर्ता विकल्पः कर्म केवलम्
न जातु कर्तृकर्मत्वं सविकल्पस्य नश्यति ।।९५।।
(रथोद्धता)
यः करोति स करोति केवलं
यस्तु वेत्ति स तु वेत्ति केवलम्
यः करोति न हि वेत्ति स क्वचित्
यस्तु वेत्ति न करोति स क्वचित्
।।९६।।

[ निज-ओघं बलात् नीतः ] पोताना विज्ञानघनस्वभाव तरफ बळथी वाळवामां आव्यो; [ तद्-एक- रसिनाम् ] केवळ विज्ञानघनना ज रसीला पुरुषोने [ विज्ञान-एक-रसः आत्मा ] जे एक विज्ञानरसवाळो ज अनुभवाय छे एवो ते आत्मा, [ आत्मानम् आत्मनि एव आहरन् ] आत्माने आत्मामां ज खेंचतो थको (अर्थात् ज्ञान ज्ञानने खेंचतुं थकुं प्रवाहरूप थईने), [ सदा गतानुगतताम् आयाति ] सदा विज्ञानघनस्वभावमां आवी मळे छे.

भावार्थःजेम जळ, जळना निवासमांथी कोई मार्गे बहार नीकळी वनमां अनेक जग्याए भमे; पछी कोई ढाळवाळा मार्ग द्वारा, जेम हतुं तेम पोताना निवासस्थानमां आवी मळे; तेवी रीते आत्मा पण मिथ्यात्वना मार्गे स्वभावथी बहार नीकळी विकल्पोना वनमां भ्रमण करतो थको कोई भेदज्ञानरूपी ढाळवाळा मार्ग द्वारा पोते ज पोताने खेंचतो पोताना विज्ञानघनस्वभावमां आवी मळे छे. ९४.

हवे कर्ताकर्म अधिकारनो उपसंहार करतां, केटलांक कळशरूप काव्यो कहे छे; तेमां प्रथम कळशमां कर्ता अने कर्मनुं संक्षिप्त स्वरूप कहे छेः

श्लोकार्थः[ विकल्पकः परं कर्ता ] विकल्प करनार ज केवळ कर्ता छे अने [ विकल्पः केवलम् कर्म ] विकल्प ज केवळ कर्म छे; (बीजां कोई कर्ता-कर्म नथी;) [ सविकल्पस्य ] जे जीव विकल्पसहित छे तेनुं [ कर्तृकर्मत्वं ] कर्ताकर्मपणुं [ जातु ] कदी [ नश्यति न ] नाश पामतुं नथी.

भावार्थःज्यां सुधी विकल्पभाव छे त्यां सुधी कर्ताकर्मभाव छे; ज्यारे विकल्पनो अभाव थाय त्यारे कर्ताकर्मभावनो पण अभाव थाय छे. ९५.

जे करे छे ते करे ज छे, जे जाणे छे ते जाणे ज छेएम हवे कहे छेः

श्लोकार्थः[ यः करोति सः केवलं करोति ] जे करे छे ते केवळ करे ज छे