सुधी उपयोग एक ज्ञेयमां उपयुक्त रहे छे त्यां सुधी धारावाही ज्ञान कहेवाय छे; आनी स्थिति (छद्मस्थने) अंतर्मुहूर्त ज छे, पछी ते खंडित थाय छे. आ बे अर्थमांथी ज्यां जेवी विवक्षा होय तेवो अर्थ समजवो. अविरतसम्यग्द्रष्टि वगेरे नीचेनां गुणस्थानवाळा जीवोने मुख्यत्वे पहेली अपेक्षा लागु पडे. श्रेणी चडनार जीवने मुख्यत्वे बीजी अपेक्षा लागु पडे कारण के तेनो उपयोग शुद्ध आत्मामां ज उपयुक्त छे. १२७.
हवे पूछे छे के संवर कया प्रकारे थाय छे? तेनो उत्तर कहे छेः —