भगवान श्री कुंदकुंदाचार्यदेव प्रणीत सर्वोत्कृष्ट परमागम श्री समयसार गुजराती भाषामां प्रथम सं. १९९७मां प्रकाशित थयुं हतुं. तेनी द्वितीय आवृत्ति सं. २००९मां श्री अमृतचंद्राचार्यदेवनी ‘आत्मख्याति’ नामनी संस्कृत टीका सहित प्रगट थयेल हती. त्रीजी आवृत्तिमां श्री अमृतचंद्राचार्यदेवकृत कळशोनो मात्र सळंग गुजराती अर्थ न लखतां वचमां कौंसमां संस्कृत शब्दो मूकीने अर्थ भरेल हतो के जेथी कया संस्कृत शब्दोनो अर्थ छे ते वाचकोना ख्यालमां आवी शके. त्यार बाद अनुक्रमे चोथी, पांचमी, छठ्ठी, सातमी पछी आ आठमी आवृत्ति प्रसिद्ध करतां अत्यानंद अनुभवाय छे.
श्री परमश्रुतप्रभावक मंडळ तरफथी आ शास्त्र हिंदी भाषामां (संस्कृत टीकाओ सहित) सं. १९७५मां प्रकाशित थयुं हतुं. पूज्य सद्गुरुदेव श्री कानजीस्वामीना हस्तमां आ परमागम सं. १९७८मां आव्युं. तेमना करकमळमां ए परमपावन चिंतामणि आवतां ते कुशळ झवेरीए एने पारखी लीधो अने समयसारनी कृपाथी तेओश्रीए निज चैतन्यमूर्ति भगवान समयसारनां दर्शन कर्यां. ए पवित्र प्रसंगनो उल्लेख पूज्य गुरुदेवना जीवनचरित्रमां आ प्रमाणे कर्यो छेः सं. १९७८मां वीरशासनना उद्धारनो, अनेक मुमुक्षुओना महान पुण्योदयने सूचवतो एक पवित्र प्रसंग बनी गयो. विधिनी कोई धन्य पळे श्रीमद्भगवत्कुंदकुंदाचार्यविरचित श्री समयसार नामनो महान ग्रंथ महाराजश्रीनां हस्तकमळमां आव्यो. समयसार वांचतां ज तेमना हर्षनो पार न रह्यो. जेनी शोधमां तेओ हता ते तेमने मळी गयुं. श्री समयसारजीमां अमृतनां सरोवर छलकातां महाराजश्रीना अंतर्नयने जोयां. एक पछी एक गाथा वांचतां महाराजश्रीए घूंटडा भरी भरीने ते अमृत पीधुं. ग्रंथाधिराज समयसारजीए महाराजश्री पर अपूर्व, अलौकिक, अनुपम उपकार कर्यो अने तेमना आत्मानंदनो पार न रह्यो. महाराजश्रीना अंतर्जीवनमां परमपवित्र परिवर्तन थयुं. भूली पडेली परिणतिए निज घर देख्युं. उपयोग-झरणानां वहेण अमृतमय थयां. जिनेश्वरदेवना सुनंदन गुरुदेवनी ज्ञानकळा हवे अपूर्व रीते खीलवा लागी. पूज्य गुरुदेव जेम जेम समयसारमां ऊंडा ऊतरता गया तेम तेम तेमां केवळज्ञानी पिताथी वारसामां आवेलां अद्भुत निधानो तेमना सुपुत्र भगवान कुंदकुंदाचार्यदेवे चीवटथी संघरी राखेलां तेमणे जोयां. घणां वर्षो सुधी समयसारनुं ऊंडुं मनन कर्या पछी, ‘कोई पण रीते जगतना जीवो सर्वज्ञपिताना आ अणमूल वारसानी किंमत समजे अने अनादिकाळनी दीनतानो अंत लावे!’
प्रवचनोनो प्रारंभ कर्यो. जाहेर सभामां सौथी पहेलां सं. १९९०मां राजकोट चातुर्मास वखते समयसारनुं वांचन शरू कर्युं. पूज्य गुरुदेवश्रीए समयसार उपर कुल ओगणीस वखत प्रवचनो आप्यां छे. सोनगढ- ट्रस्ट तरफथी समयसार उपर पूज्य गुरुदेवश्रीनां प्रवचनोनां पांच पुस्तको छपाईने प्रसिद्ध थई गयां छे.