Samaysar-Gujarati (Devanagari transliteration).

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जेम जेम पूज्य गुरुदेवश्री अनुभववाणी वडे आ शास्त्रना ऊंडागंभीर भावोने खोलता गया तेम तेम मुमुक्षु जीवोने तेनुं महत्त्व समजातुं गयुं, अने तेमनामां अध्यात्मरसिकतानी साथे साथे आ शास्त्र प्रत्ये भक्ति अने बहुमान पण वधतां गयां. सं. १९९४ना वैशाख वद आठमे, सोनगढमां श्री ‘जैन स्वाध्यायमंदिर’ना उद्घाटन प्रसंगे तेमां पूज्य प्रशममूर्ति भगवती बहेनश्री चंपाबेनना पवित्र हस्ते श्री समयसारजी शास्त्रनी विधिपूर्वक प्रतिष्ठा करवामां आवी हती.

आवुं महिमावंत आ परमागम गुजराती भाषामां प्रकाशित थाय तो जिज्ञासुओने महा लाभनुं कारण थाय एवी भावनाथी श्री जैन अतिथि सेवा समितिए सं. १९९७मां आ परमागमनुं गुजराती भाषामां प्रकाशन कर्युं. त्यार बाद तेनी द्वितीय आवृत्ति सं. २००९मां श्री दि. जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट तरफथी प्रसिद्ध करवामां आवी हती. आ तेनी आठमी आवृत्ति प्रसिद्ध थाय छे.

आ रीते आ प्रकाशन खरेखर पूज्य गुरुदेवश्रीना प्रभावनी ज प्रसादी छे. अध्यात्मनुं रहस्य समजावीने पूज्य गुरुदेवश्रीए जे अपार उपकार कर्यो छेे तेनुं वर्णन वाणीथी व्यक्त करवा आ संस्था असमर्थ छे.

श्रीमान समीप समयवर्ती समयज्ञ श्रीमद् राजचंद्रजीए जनसमाजने अध्यात्म समजाव्युं तथा अध्यात्मप्रचार अर्थे श्री परमश्रुतप्रभावक मंडळ स्थाप्युं; ए रीते जनसमाज परमुख्यत्वे गुजरात - काठियावाड परतेमनो महा उपकार वर्ती रह्यो छे.

हवे गुजराती अनुवाद विषेः आ उच्च कोटिना अध्यात्मशास्त्रनो गुजराती अनुवाद करवानुं काम सहेलुं न हतुं. सूत्रकार अने टीकाकार आचार्यभगवंतोना गंभीर भावो यथार्थपणे जळवाई रहे एवी रीते तेने स्पर्शीने अनुवाद थाय तो ज प्रकाशन संपूर्णपणे समाजने लाभदायक नीवडे एम हतुं. सद्भाग्ये ऊंडा आदर्श आत्मार्थी पंडितरत्न भाईश्री हिंमतलाल जेठालाल शाहे, पूज्य गुरुदेवश्रीनी कृपाभीनी पवित्र आज्ञा तथा पूज्य बहेनश्री चंपाबेननी पावन प्रेरणा झीलीने, तेनो अनुवाद करी आपवा सहर्ष संमति आपीने ते काम हाथमां लीधुं, अने तेमणे आ अनुवादनुं काम रूडी रीते सांगोपांग पार उतार्युं.

आ पवित्र शास्त्रना गुजराती अनुवादनुं महान कार्य करनार भाईश्री हिंमतलालभाई अध्यात्मरसिक विद्वान होवा उपरांत गंभीर, वैराग्यशाळी, शांत अने विवेकी सज्जन हता तथा कवि पण हता. तेमणे समयसारना अनुवाद उपरांत तेनी मूळ गाथाओनो गुजराती पद्यानुवाद पण हरिगीत छंदमां कर्यो छे; ते घणो ज मधुर, स्पष्ट तेम ज सरळ छे अने दरेक गाथार्थ पहेलां छापवामां आव्यो छे. आ रीते आखोय अनुवाद तेम ज हरिगीत काव्यो जिज्ञासु जीवोने बहु ज उपयोगी अने उपकारी थयेल छे. आ माटे भाईश्री हिंमतलाल जेठालाल शाहनो जेटलो आभार मानवामां आवे तेटलो ओछो छे. आ समयसार जेवा उत्तम शास्त्रनो अनुवाद करवानुं परम सौभाग्य तेमने मळ्युं ते माटे तेओ खरेखर अभिनंदनीय छे.

आजथी लगभग बसो वर्ष पहेलां श्रीमान पंडित जयचंद्रजीए आ परमागमनुं हिंदी भाषांतर करीने जैनसमाज पर उपकार कर्यो छे. आ अनुवाद श्री परमश्रुतप्रभावक मंडळ तरफथी प्रसिद्ध थयेल हिंदी समयसारना आधारे करवामां आव्यो छे, ते माटे आ संस्था ते मंडळनो आभार माने छे. [त्रीजी आवृत्ति प्रसंगेे संशोधन, कळशोना गुजराती अर्थनी वच्चे संस्कृत शब्दो यथास्थाने गोठववानुं कार्य, प्रूफरीडिंग,