शुद्धिपत्रक, गाथासूची, कळशसूची वगेरे अनेकविध कार्योमां पूज्य गुरुदेवश्रीना अंतेवासी बाळब्रह्मचारी भाईश्री चंदुलाल खीमचंद झोबाळियाए अत्यंत काळजी, परिश्रम अने उल्लासपूर्वक जे सहाय करी छे ते माटे आ संस्था तेमनी आभारी छे. ब्र
हिंमतलालभाईए अनेकविध सहाय करी छे तेम ज आखरी प्रूफसंशोधन पण तेमणे ज करी आप्युं छे, तेथी तेमनो अंतःकरणपूर्वक आभार मानवामां आवे छे.] ऊंडा आदर्श आत्मार्थी पंडितरत्न श्री हिंमतलालभाई शाहनो उपोद्घात शब्दशः आ आवृत्तिमां लीधेल छे. अने आ आवृत्तिनुं मुद्रणसंशोधन ब्र
(सोनगढ) तथा श्री अनंतराय व्रजलाल शाहे (जलगांव) करी आपेल छे ते बदल ते सर्व महानुभावोनो आभार मानीए छीए.
आ आवृत्तिनुं सुंदर मुद्रणकार्य ‘कहान मुद्रणालय’ना मालिक श्री ज्ञानचंदजी जैने तथा तेमना सुपुत्र चि० निलये करी आपेल छे, तेथी तेमनो पण आभार मानीए छीए. आ उपरांत जेमनी सहाय होय ते सर्वनो पण आभार मानवामां आवे छे.
आ समयसार खरेखर एक उत्तमोत्तम शास्त्र छे. साधक जीवोने माटे तेमां आध्यात्मिक मंत्रोनो भंडार भर्यो छे. कुंदकुंदाचार्यदेव पछी रचायेलां लगभग बधां अध्यात्मशास्त्रो उपर समयसारनो प्रभाव पड्यो छे. सर्व अध्यात्मनां बीजडां समयसारमां समायेलां छे. सर्वे जिज्ञासु जीवोए गुरुगमपूर्वक आ परमागमनो अभ्यास अवश्य करवा योग्य छे. परम महिमावंत एवा निज शुद्ध आत्मस्वरूपने अनुभवगम्य करवा माटे आ शास्त्रमां अद्वितीय उपदेश छे, अने ए ज दरेक जिज्ञासु जीवनुं एकमात्र परम कर्तव्य छे. श्री पद्मनंदी मुनिराज कहे छे के —
अर्थः — जे जीवे प्रसन्नचित्तथी आ चैतन्यस्वरूप आत्मानी वात पण सांभळी छे ते भव्य पुरुष भविष्यमां थनारी मुक्तिनुं अवश्य भाजन थाय छे.
उपर प्रमाणे सुपात्र जीवो गुरुगमे शुद्धचैतन्यतत्त्वनी वार्तानुं प्रीतिपूर्वक श्रवण करो अने आ परमागमनी पांचमी गाथामां आचार्यभगवाननी आज्ञा-अनुसार ते एकत्व-विभक्त शुद्ध आत्माने स्वानुभवप्रत्यक्षथी प्रमाण करो.