Samaysar (Hindi). Gatha: 106.

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कथमिति चेत्
जोधेहिं कदे जुद्धे राएण कदं ति जंपदे लोगो
ववहारेण तह कदं णाणावरणादि जीवेण ।।१०६।।
योधैः कृते युद्धे राज्ञा कृतमिति जल्पते लोकः
व्यवहारेण तथा कृतं ज्ञानावरणादि जीवेन ।।१०६।।
यथा युद्धपरिणामेन स्वयं परिणममानैः योधैः कृते युद्धे युद्धपरिणामेन स्वयमपरिणम-
मानस्य राज्ञो राज्ञा किल कृतं युद्धमित्युपचारो, न परमार्थः, तथा ज्ञानावरणादिकर्मपरिणामेन
स्वयं परिणममानेन पुद्गलद्रव्येण कृते ज्ञानावरणादिकर्मणि ज्ञानावरणादिकर्मपरिणामेन
स्वयमपरिणममानस्यात्मनः किलात्मना कृतं ज्ञानावरणादिकर्मेत्युपचारो, न परमार्थः
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समयसार
[ भगवानश्रीकुन्दकुन्द-
भावार्थ :कदाचित् होनेवाले निमित्तनैमित्तिकभावमें कर्ताकर्मभाव कहना सो उपचार है ।१०५।
अब, यह उपचार कैसे है सो दृष्टान्त द्वारा कहते हैं :
योद्धा करें जहँ युद्ध, वहाँ वह भूपकृत जनगण कहैं
त्यों जीवने ज्ञानावरण आदिक किये व्यवहारसे ।।१०६।।
गाथार्थ :[योधैः ] योद्धाओंके द्वारा [युद्धे कृते ] युद्ध किये जाने पर, ‘[राज्ञा कृतम् ]
राजाने युद्ध किया’ [इति ] इसप्रकार [लोकः ] लोक [जल्पते ] (व्यवहारसे) कहते हैं [तथा ]
उसीप्रकार ‘[ज्ञानावरणादि ] ज्ञानावरणादि कर्म [जीवेन कृतं ] जीवने किया’ [व्यवहारेण ] ऐसा
व्यवहारसे कहा जाता है
टीका :जैसे युद्धपरिणामरूप स्वयं परिणमते हुए योद्धाओंके द्वारा युद्ध किये जाने पर,
युद्धपरिणामरूप स्वयं परिणमित नहीं होनेवाले राजामें ‘राजाने युद्ध किया’ ऐसा उपचार है, परमार्थ
नहीं हैं; इसीप्रकार ज्ञानावरणादिकर्मपरिणामरूप स्वयं परिणमते हुए पुद्गलद्रव्यके द्वारा ज्ञानावरणादि
कर्म किये जाने पर, ज्ञानावरणादि कर्मपरिणामरूप स्वयं परिणमित नहीं होनेवाले ऐसे ‘आत्मामें
‘आत्माने ज्ञानावरणादि कर्म किया’ ऐसा उपचार है, परमार्थ नहीं है
भावार्थ :योद्धाओंके द्वारा युद्ध किये जाने पर भी उपचारसे यह कहा जाता है कि
‘राजाने युद्ध किया’, इसीप्रकार ज्ञानावरणादि कर्म पुद्गलद्रव्यके द्वारा किये जाने पर भी उपचारसे
यह कहा जाता है कि ‘जीवने कर्म किया’
।।१०६।।