Samaysar (Hindi). Gatha: 137-138.

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समयसार
[ भगवानश्रीकुन्दकुन्द-
जीवात्पृथग्भूत एव पुद्गलद्रव्यस्य परिणामः
जइ जीवेण सह च्चिय पोग्गलदव्वस्स कम्मपरिणामो
एवं पोग्गलजीवा हु दो वि कम्मत्तमावण्णा ।।१३७।।
एक्कस्स दु परिणामो पोग्गलदव्वस्स कम्मभावेण
ता जीवभावहेदूहिं विणा कम्मस्स परिणामो ।।१३८।।
यदि जीवेन सह चैव पुद्गलद्रव्यस्य कर्मपरिणामः
एवं पुद्गलजीवौ खलु द्वावपि कर्मत्वमापन्नौ ।।१३७।।
एकस्य तु परिणामः पुद्गलद्रव्यस्य कर्मभावेन
तज्जीवभावहेतुभिर्विना कर्मणः परिणामः ।।१३८।।
यदि पुद्गलद्रव्यस्य तन्निमित्तभूतरागाद्यज्ञानपरिणामपरिणतजीवेन सहैव कर्मपरिणामो
अब यह प्रतिपादन करते हैं कि पुद्गलद्रव्यका परिणाम जीवसे भिन्न ही है
जो कर्मरूप परिणाम, जीवके साथ पुद्गलका बने
तो जीव अरु पुद्गल उभय ही, कर्मपन पावें अरे ! ।।१३७।।
पर क र्मभावों परिणमन है, एक पुद्गलद्रव्यके
जीवभावहेतुसे अलग, तब, कर्मके परिणाम हैं ।।१३८।।

गाथार्थ :[यदि ] यदि [पुद्गलद्रव्यस्य ] पुद्गलद्रव्यका [जीवेन सह चैव ] जीवके साथ ही [कर्मपरिणामः ] क र्मरूप परिणाम होता है (अर्थात् दोनों मिलकर ही क र्मरूप परिणमित होते हैं )ऐसा माना जाये तो [एवं ] इसप्रकार [पुद्गलजीवौ द्वौ अपि ] पुद्गल और जीव दोनों [खलु ] वास्तवमें [कर्मत्वम् आपन्नौ ] क र्मत्वको प्राप्त हो जायें [तु ] परन्तु [कर्मभावेन ] क र्मभावसे [परिणामः ] परिणाम तो [पुद्गलद्रव्यस्य एकस्य ] पुद्गलद्रव्यके एक के ही होता है, [तत् ] इसलिये [जीवभावहेतुभिः विना ] जीवभावरूप निमित्तसे रहित ही अर्थात् भिन्न ही [कर्मणः ] क र्मका [परिणामः ] परिणाम है

टीका :यदि पुद्गलद्रव्यके, कर्मपरिणामके निमित्तभूत ऐसे रागादि-अज्ञान-परिणामसे परिणत जीवके साथ ही (अर्थात् दोनों मिलकर ही), कर्मरूप परिणाम होता हैऐसा वितर्क उपस्थित किया जाये तो, जैसे मिली हुई हल्दी और फि टकरीकादोनोंका लाल रंगरूप परिणाम