ૐ
नमः परमात्मने।
श्रीमद्भगवत्कुन्दकुन्दाचार्यदेवप्रणीत
श्री
समयसार
पूर्वरंग
श्रीमदमृतचन्द्रसूरिकृता आत्मख्यातिव्याख्यासमुपेतः ।
(अनुष्टुभ्)
नमः समयसाराय स्वानुभूत्या चकासते ।
चित्स्वभावाय भावाय सर्वभावान्तरच्छिदे ।।१।।
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श्रीमद्भगवत्कुन्दकुन्दाचार्यदेव कृत मूल गाथायें और श्रीमद् अमृतचन्द्रसूरि कृत
आत्मख्याति नामक टीकाके गुजराती अनुवादका
हिन्दी रूपान्तर
(मंगलाचरण)
श्री परमातमको प्रणमि, शारद सुगुरु मनाय ।
समयसार शासन करूं देशवचनमय, भाय ।।१।।
शब्दब्रह्मपरब्रह्मके वाचकवाच्यनियोग ।
मंगलरूप प्रसिद्ध ह्वै, नमों धर्मधनभोग ।।२।।
नय नय लहइ सार शुभवार, पय पय दहइ मार दुखकार ।
लय लय गहइ पार भवधार, जय जय समयसार अविकार ।।३।।