यथा पुनः स एव पुरुषो वृत्तिनिमित्तं न सेवते राजानम् ।
तत्सोऽपि न ददाति राजा विविधान् भोगान् सुखोत्पादकान् ।।२२६।।
एवमेव सम्यग्द्रष्टिः विषयार्थं सेवते न कर्मरजः ।
तत्तन्न ददाति कर्म विविधान् भोगान् सुखोत्पादकान् ।।२२७।।
यथा कश्चित्पुरुषः फलार्थं राजानं सेवते ततः स राजा तस्य फलं ददाति, तथा जीवः
फलार्थं कर्म सेवते ततस्तत्कर्म तस्य फलं ददाति । यथा च स एव पुरुष फलार्थं राजानं न
सेवते ततः स राजा तस्य फलं न ददाति, तथा सम्यग्द्रष्टिः फलार्थं कर्म न सेवते ततस्तत्कर्म
तस्य फलं न ददातीति तात्पर्यम् ।
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समयसार
[ भगवानश्रीकुन्दकुन्द-
राजा अपि ] वह राजा भी उसे [सुखोत्पादकान् ] सुख उत्पन्न क रनेवाले [विविधान् ] अनेक
प्रकारके [भोगान् ] भोग [ददाति ] देता है, [एवम् एव ] इसीप्रकार [जीवपुरुषः ] जीवपुरुष
[सुखनिमित्तम् ] सुखके लिए [कर्मरजः ] क र्मरजकी [सेवते ] सेवा करता है [तद् ] तो [तत्
कर्म अपि ] वह क र्म भी उसे [सुखोत्पादकान् ] सुख उत्पन्न क रनेवाले [विविधान् ] अनेक
प्रकारके [भोगान् ] भोग [ददाति ] देता है
।
[पुनः ] और [यथा ] जैसे [सः एव पुरुषः ] वही पुरुष [वृत्तिनिमित्तं ] आजीविकाके
लिये [राजानम् ] राजाकी [न सेवते ] सेवा नहीं करता [तद् ] तो [सः राजा अपि ] वह राजा
भी उसेे [सुखोत्पादकान् ] सुख उत्पन्न क रनेवाले [विविधान् ] अनेक प्रकारके [भोगान् ] भोग
[न ददाति ] नहीं देता, [एवम् एव ] इसीप्रकार [सम्यग्दृ+ष्टिः ] सम्यग्दृष्टि [विषयार्थं ] विषयके
लिये [कर्मरजः ] क र्मरजकी [न सेवते ] सेवा नहीं करता, [तद् ] इसलिये [तत् कर्म ] वह क र्म
भी उसे [सुखोत्पादकान् ] सुख उत्पन्न क रनेवाले [विविधान् ] अनेक प्रकारके [भोगान् ] भोग
[न ददाति ] नहीं देता
।
टीका : — जैसे कोई पुरुष फलके लिये राजाकी सेवा करता है तो वह राजा उसे फल देता
है, इसीप्रकार जीव फलके लिये कर्मकी सेवा करता है तो वह कर्म उसे फल देता है । और जैसे वही
पुरुष फलके लिये राजाकी सेवा नहीं करता, तो वह राजा उसे फल नहीं देता, इसी प्रकार सम्यग्दृष्टि
फलके लिये कर्मकी सेवा नहीं करता, इसलिये वह कर्म उसे फल नहीं देता । यह तात्पर्य है ।
भावार्थ : — यहाँ एक आशय तो इसप्रकार है : — अज्ञानी विषयसुखके लिये अर्थात्
रंजित परिणामके लिए उदयगत कर्मकी सेवा करता है, इसलिये वह कर्म उसे (वर्तमानमें) रंजित
परिणाम देता है । ज्ञानी विषयसुखके लिए अर्थात् रंजित परिणामके लिए उदयागत कर्मकी सेवा
नहीं करता, इसलिए वह कर्म उसे रंजित परिणाम उत्पन नहीं करता ।