कहानजैनशास्त्रमाला ]
सर्वविशुद्धज्ञान अधिकार
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किंच — यथा च सैव सेटिका श्वेतगुणनिर्भरस्वभावा स्वयं कुडयादिपरद्रव्यस्वभावेना-
परिणममाना कुडयादिपरद्रव्यं चात्मस्वभावेनापरिणमयन्ती कुडयादिपरद्रव्यनिमित्तकेनात्मनः
श्वेतगुणनिर्भरस्वभावस्य परिणामेनोत्पद्यमाना कुडयादिपरद्रव्यं सेटिकानिमित्तकेनात्मनः स्वभावस्य
परिणामेनोत्पद्यमानमात्मनः स्वभावेन श्वेतयतीति व्यवह्रियते, तथा चेतयितापि दर्शनगुण-
निर्भरस्वभावः स्वयं पुद्गलादिपरद्रव्यस्वभावेनापरिणममानः पुद्गलादिपरद्रव्यं चात्मस्वभावेना-
परिणमयन् पुद्गलादिपरद्रव्यनिमित्तकेनात्मनो दर्शनगुणनिर्भरस्वभावस्य परिणामेनोत्पद्यमानः
पुद्गलादिपरद्रव्यं चेतयितृनिमित्तकेनात्मनः स्वभावस्य परिणामेनोत्पद्यमानमात्मनः स्वभावेन
पश्यतीति व्यवह्रियते
।
अपि च — यथा च सैव सेटिका श्वेतगुणनिर्भरस्वभावा स्वयं कुडयादिपरद्रव्य-
स्वभावेनापरिणममाना कुडयादिपरद्रव्यं चात्मस्वभावेनापरिणमयन्ती कुडयादिपरद्रव्यनिमित्त-
केनात्मनः श्वेतगुणनिर्भरस्वभावस्य परिणामेनोत्पद्यमाना कुडयादिपरद्रव्यं सेटिकानिमित्तकेनात्मनः
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और (जिसप्रकार ज्ञानगुणका व्यवहार कहा है) इसीप्रकार दर्शनगुणका व्यवहार कहा
जाता है : — जिसप्रकार श्वेतगुणसे परिपूर्ण स्वभाववाली वही कलई, स्वयं दीवार-आदि परद्रव्यके
स्वभावरूप परिणमित न होती हुई और दीवार-आदि परद्रव्यको अपने स्वभावरूप परिणमित न
कराती हुई, दीवार-आदि परद्रव्य जिसको निमित्त हैं ऐसे अपने श्वेतगुणसे परिपूर्ण स्वभावके
परिणाम द्वारा उत्पन्न हुई, कलई जिसको निमित्त है ऐसे अपने ( – दिवार-आदिके – ) स्वभावसे
परिणाम द्वारा उत्पन्न होनेवाले दीवार-आदि परद्रव्यको अपने ( – कलईके) स्वभावसे श्वेत करती
है — ऐसा व्यवहार किया जाता है; इसीप्रकार दर्शनगुणसे परिपूर्ण स्वभाववाला चेतयिता भी, स्वयं
पुद्गलादि परद्रव्यके स्वभावरूप परिणमित न होता हुआ, और पुद्गलादि परद्रव्यको अपने
स्वभावरूप परिणमित न कराता हुआ, पुद्गलादि परद्रव्य जिसको निमित्त हैं ऐसे अपने
दर्शनगुणसे परिपूर्ण स्वभावके परिणाम द्वारा उत्पन्न होता हुआ, चेतयिता जिसको निमित्त है ऐसे
अपने ( – पुद्गलादिके – ) स्वभावके परिणाम द्वारा उत्पन्न होनेवाले पुद्गलादि परद्रव्यको अपने
( – चेतयिताके – ) स्वभावसे देखता है अथवा श्रद्धा करता है — ऐसा व्यवहार किया जाता है ।
और (जिसप्रकार ज्ञान-दर्शन गुणका व्यवहार कहा है) इसीप्रकार चारित्रगुणका व्यवहार
कहा जाता है : — जैसे श्वेतगुणसे परिपूर्ण स्वभाववाली वही कलई, स्वयं दीवार-आदि परद्रव्यके
स्वभावरूप परिणमित न होती हुई और दीवार-आदि परद्रव्यको अपने स्वभावरूप परिणमित न
कराती हुई, दीवार-आदि परद्रव्य जिसको निमित्त है ऐसे अपने श्वेतगुणसे परिपूर्ण स्वभावके परिणाम
द्वारा उत्पन्न होती हुई, कलई जिसको निमित्त है ऐसे अपने ( – दीवार-आदिके — ) स्वभावके