Samaysar (Hindi).

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कहानजैनशास्त्रमाला ]
सर्वविशुद्धज्ञान अधिकार
५१३

किंचयथा च सैव सेटिका श्वेतगुणनिर्भरस्वभावा स्वयं कुडयादिपरद्रव्यस्वभावेना- परिणममाना कुडयादिपरद्रव्यं चात्मस्वभावेनापरिणमयन्ती कुडयादिपरद्रव्यनिमित्तकेनात्मनः श्वेतगुणनिर्भरस्वभावस्य परिणामेनोत्पद्यमाना कुडयादिपरद्रव्यं सेटिकानिमित्तकेनात्मनः स्वभावस्य परिणामेनोत्पद्यमानमात्मनः स्वभावेन श्वेतयतीति व्यवह्रियते, तथा चेतयितापि दर्शनगुण- निर्भरस्वभावः स्वयं पुद्गलादिपरद्रव्यस्वभावेनापरिणममानः पुद्गलादिपरद्रव्यं चात्मस्वभावेना- परिणमयन् पुद्गलादिपरद्रव्यनिमित्तकेनात्मनो दर्शनगुणनिर्भरस्वभावस्य परिणामेनोत्पद्यमानः पुद्गलादिपरद्रव्यं चेतयितृनिमित्तकेनात्मनः स्वभावस्य परिणामेनोत्पद्यमानमात्मनः स्वभावेन पश्यतीति व्यवह्रियते

अपि चयथा च सैव सेटिका श्वेतगुणनिर्भरस्वभावा स्वयं कुडयादिपरद्रव्य- स्वभावेनापरिणममाना कुडयादिपरद्रव्यं चात्मस्वभावेनापरिणमयन्ती कुडयादिपरद्रव्यनिमित्त- केनात्मनः श्वेतगुणनिर्भरस्वभावस्य परिणामेनोत्पद्यमाना कुडयादिपरद्रव्यं सेटिकानिमित्तकेनात्मनः

और (जिसप्रकार ज्ञानगुणका व्यवहार कहा है) इसीप्रकार दर्शनगुणका व्यवहार कहा जाता है :जिसप्रकार श्वेतगुणसे परिपूर्ण स्वभाववाली वही कलई, स्वयं दीवार-आदि परद्रव्यके स्वभावरूप परिणमित न होती हुई और दीवार-आदि परद्रव्यको अपने स्वभावरूप परिणमित न कराती हुई, दीवार-आदि परद्रव्य जिसको निमित्त हैं ऐसे अपने श्वेतगुणसे परिपूर्ण स्वभावके परिणाम द्वारा उत्पन्न हुई, कलई जिसको निमित्त है ऐसे अपने (दिवार-आदिके) स्वभावसे परिणाम द्वारा उत्पन्न होनेवाले दीवार-आदि परद्रव्यको अपने (कलईके) स्वभावसे श्वेत करती हैऐसा व्यवहार किया जाता है; इसीप्रकार दर्शनगुणसे परिपूर्ण स्वभाववाला चेतयिता भी, स्वयं पुद्गलादि परद्रव्यके स्वभावरूप परिणमित न होता हुआ, और पुद्गलादि परद्रव्यको अपने स्वभावरूप परिणमित न कराता हुआ, पुद्गलादि परद्रव्य जिसको निमित्त हैं ऐसे अपने दर्शनगुणसे परिपूर्ण स्वभावके परिणाम द्वारा उत्पन्न होता हुआ, चेतयिता जिसको निमित्त है ऐसे अपने (पुद्गलादिके) स्वभावके परिणाम द्वारा उत्पन्न होनेवाले पुद्गलादि परद्रव्यको अपने (चेतयिताके) स्वभावसे देखता है अथवा श्रद्धा करता हैऐसा व्यवहार किया जाता है

और (जिसप्रकार ज्ञान-दर्शन गुणका व्यवहार कहा है) इसीप्रकार चारित्रगुणका व्यवहार कहा जाता है :जैसे श्वेतगुणसे परिपूर्ण स्वभाववाली वही कलई, स्वयं दीवार-आदि परद्रव्यके स्वभावरूप परिणमित न होती हुई और दीवार-आदि परद्रव्यको अपने स्वभावरूप परिणमित न कराती हुई, दीवार-आदि परद्रव्य जिसको निमित्त है ऐसे अपने श्वेतगुणसे परिपूर्ण स्वभावके परिणाम द्वारा उत्पन्न होती हुई, कलई जिसको निमित्त है ऐसे अपने (दीवार-आदिके) स्वभावके

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