Samaysar (Hindi).

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શ્રી દિગંબર જૈન સ્વાધ્યાયમંદિર ટ્રસ્ટ, સોનગઢ - ૩૬૪૨૫૦
करणोपरमात्मिका अकर्तृत्वशक्ति : २१ सकलकर्मकृतज्ञातृत्वमात्रातिरिक्त परिणामानुभवो-
परमात्मिका अभोक्तृत्वशक्ति : २२ सकलकर्मोपरमप्रवृत्तात्मप्रदेशनैष्पन्द्यरूपा निष्क्रियत्व-
शक्ति : २३ आसंसारसंहरणविस्तरणलक्षितकिंचिदूनचरमशरीरपरिमाणावस्थितलोकाकाश-
सम्मितात्मावयवत्वलक्षणा नियतप्रदेशत्वशक्ति : २४ सर्वशरीरैकस्वरूपात्मिका स्वधर्म-
व्यापकत्वशक्ति : २५ स्वपरसमानासमानसमानासमानत्रिविधभावधारणात्मिका साधारणा-
साधारणसाधारणासाधारणधर्मत्वशक्ति : २६ विलक्षणानन्तस्वभावभावितैकभावलक्षणा अनन्त-
धर्मत्वशक्ति : २७ तदतद्रूपमयत्वलक्षणा विरुद्धधर्मत्वशक्ति : २८ तद्रूपभवनरूपा तत्त्व-
शक्ति : २९ अतद्रूपभवनरूपा अतत्त्वशक्ति : ३० अनेकपर्यायव्यापकैकद्रव्यमयत्वरूपा एकत्व-
कहानजैनशास्त्रमाला ]
परिशिष्ट
६१३
नहीं होता, ऐसी अकर्तृत्व नामक एक शक्ति आत्मामें है)२१ समस्त, कर्मोंसे किये गये,
ज्ञातृत्वमात्रसे भिन्न परिणामोंके अनुभवके (भोक्तृत्वके) उपरमस्वरूप अभोक्तृत्वशक्ति२२
समस्त कर्मोंके उपरमसे प्रवृत्त आत्मप्रदेशोंकी निष्पन्दतास्वरूप (-अकम्पतास्वरूप)
निष्क्रियत्वशक्ति
(जब समस्त कर्मोंका अभाव हो जाता है तब प्रदेशोंका कम्पन मिट जाता
है, इसलिये निष्क्रियत्व-शक्ति भी आत्मामें है)२३ जो अनादि संसारसे लेकर
संकोचविस्तारसे लक्षित है और जो चरम शरीरके परिमाणसे कुछ न्यून परिमाणसे अवस्थित
होता है ऐसा लोकाकाशके माप जितना मापवाला आत्म-अवयवत्व जिसका लक्षण है ऐसी
नियतप्रदेशत्वशक्ति
(आत्माके लोकपरिमाण असंख्य प्रदेश नियत ही हैं वे प्रदेश संसार-
अवस्थामें संकोचविस्तारको प्राप्त होते हैं और मोक्ष-अवस्थामें चरम शरीरसे कुछ कम
परिमाणसे स्थित रहते हैं
)२४सर्व शरीरोंमें एकस्वरूपात्मक ऐसी स्वधर्मव्यापकत्वशक्ति
(शरीरके धर्मरूप न होकर अपने धर्मोंमें व्यापनेरूप शक्ति सो स्वधर्मव्यापकत्वशक्ति
है
)२५ स्व-परके समान, असमान और समानासमान ऐसे तीन प्रकारके भावोंके
धारणस्वरूप साधारण-असाधारण-साधारणासाधारणधर्मत्वशक्ति२६ विलक्षण (परस्पर भिन्न
लक्षणयुक्त) अनन्त स्वभावोंसे भावित ऐसा एक भाव जिसका लक्षण है ऐसी
अनन्तधर्मत्वशक्ति
२७ तद्रूपमयता और अतद्रूपमयता जिसका लक्षण है ऐसी
विरुद्धधर्मत्वशक्ति२८ तद्रूप भवनरूप ऐसी तत्त्वशक्ति (तत्स्वरूप होनेरूप अथवा
तत्स्वरूप परिणमनरूप ऐसी तत्त्वशक्ति आत्मामें है इस शक्तिसे चेतन चेतनरूपसे रहता है
परिणमित होता है)२९ अतद्रूप भवनरूप ऐसी अतत्त्वशक्ति (तत्स्वरूप नहीं होनेरूप
अथवा तत्स्वरूप नहीं परिणमनेरूप अतत्त्वशक्ति आत्मामें है इस शक्तिसे चेतन जड़रूप नहीं
होता)३० अनेक पर्यायोंमें व्यापक ऐसी एकद्रव्यमयतारूप एकत्वशक्ति३१