Samaysar Kalash Tika-Gujarati (Devanagari transliteration).

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( १५ )

तेओश्रीए पोतानो कीमती समय आपी अथाक परिश्रम लईने अति प्रसन्नतापूर्वक आ आखुं भाषान्तर पासे बेसीने बराबर ध्यानपूर्वक सांभळ्युं छे, अनेक स्थळोए आवश्यक सुधारो-वधारो कराव्यो छे, आखरी प्रूफसंशोधन करी आप्युं छे तथा आ उपोद्घात पण तपासीने योग्य सुधारो-वधारो कराव्यो छे. खरेखर तेओश्रीना सहृदय सहयोगथी ज आ भाषान्तर मुद्रणयोग्य बन्युं छे; माटे तेओश्रीना कीमती सहयोगने द्रष्टि समक्ष राखीने तेमनो सादर अंतःकरणपूर्वक आभार मानुं छुं.

आ भाषान्तर दिगंबर जैन समाजना प्रसिद्ध विद्वान श्रीमान् पं. फूलचंदजी सिद्धान्तशास्त्री, वाराणसीवाळाना आधुनिक हिन्दी अनुवादना आधारे करवामां आव्युं छे, तेथी तेमना अनुवादनो उपयोग करवा बदल तेमनो पण सादर आभार मानुं छुं.

अंतमां, आ अनुवाद मारफत आ समयसार-कलश ग्रंथनो आपणे सौ अध्यात्म- तत्त्वप्रेमी मुमुक्षु वर्ग स्वानुभवनी प्राप्ति माटे आत्मलक्षी अभ्यास करीने श्री पद्मनंदी मुनिराजना निम्न श्लोक अनुसार परम दशानां भाजन बनीए एवी मंगळ भावना सहित आ उपोद्घात पूर्ण करुं छुंः

तत्प्रति प्रीतिचित्तेन येन वार्ताऽपि हि श्रुता
निश्चितं स भवेद्भव्यो भाविनिर्वाणभाजनम् ।।२३।।
(पद्मनंदिपंचविंशतिकाएकत्व अधिकार)

अर्थःजे जीवे प्रसन्न चित्तथी आ चैतन्यस्वरूप आत्मानी वात पण सांभळी छे ते भव्य पुरुष भविष्यमां थनारी मुक्तिनुं अवश्य भाजन थाय छे. श्रीकुंदकुंद-आचार्यपदारोहण-पर्व (मागशर वद आठम), वि. सं. २०२३अनुवाद

ब्र. चंदुलाल खी. झोबाळिया.