आ गुजराती भाषान्तर आधुनिक हिन्दी अनुवादना आधारे प्रायः शब्दशः करवामां आव्युं छे; परंतु केटलेक स्थळे वाचकोने पूर्वापर संबंध समजवो सुगम पडे ते हेतुथी कोइ एकाद शब्दनो उमेरो करवामां आव्यो छे; जेम के — २०मा कलशनी टीकामां (पृष्ठ २१, पंक्ति २) ‘‘(आत्मज्योतिः) चैतन्यप्रकाशको’’ एनुं भाषान्तर ‘‘(आत्मज्योतिः) आत्मज्योतिने अर्थात् चैतन्यप्रकाशने’’ — एम करवामां आव्युं छे. वळी, कोइक स्थळे एक सळंग वाक्यनी वच्चे पंडितजीए विवरण के भावार्थ लख्यां होय छे; त्यां वाक्यनी सळंगसूत्रता जाळववा माटे आ गुजराती भाषान्तरमां ते विवरण के भावार्थ [ ] आवा कौंसमां मूकवामां आव्यां छे (दा. त. जुओ पृष्ठ ५, पंक्ति १६ अने पृष्ठ ५५, पंक्ति ९); ते सिवाय त्यां भाषान्तरमां कांइ फेरफार करवामां आव्यो नथी. भाषान्तरमां सर्वत्र लेश पण आशयफेर न थाय तेनी पूरेपूरी काळजी राखवामां आवी छे.
अध्यात्मद्रष्टि तथा स्वानुभवसंपत्तिथी जेओ समृद्ध छे, वीतरागमार्गप्रकाशननो जेमने अद्भुत योग छे, जेमनो आ पामर उपर अनंत अनंत उपकार छे, जेमनां पवित्र जीवन तथा चरणोनी आनंददायी उपासनाथी आ पामरने निज कल्याण करवानी खटक जागृत थइ तथा जेमना पुनीत प्रतापे तेओश्रीना श्रीमुखथी समयसार आदि अध्यात्मशास्त्रोना कल्याणकारी श्रवणनुं परम सौभाग्य प्राप्त थयुं, एवा परम कृपाळु परम पूज्य सद्गुरुदेव श्री कानजीस्वामीनी मधुरी पवित्र छत्रछायामां रहीने आ गुजराती अनुवादनुं संपादनकार्य थयुं छे. तेथी आ प्रसंगे परम कृपाळु पूज्य गुरुदेवश्री प्रत्ये उपकारवशतानी हृदयगत भावनाने व्यक्त करी, तेमनां पावन चरणारविंदमां अत्यंत भक्तिभावे वंदन करुं छुं. आ अनुवादमां जे कांइ सारुं होय ते पूज्य गुरुदेव पासेथी प्राप्त थयेलुं छे, अने जे कांइ क्षति रही गइ होय ते मारी अल्पताना कारणे छे, जे माटे मुमुक्षुओ मने क्षमा आपशे एम इच्छुं छुं.
आ उपरांत, परम पूज्य प्रशममूर्ति भगवती बहेनश्री चंपाबेन के जेमनो पूज्य गुरुदेवनिमित्तक वीतरागजिनशासन-प्रभावनामां अद्भुत सहयोग छे अने जेमनो, अध्यात्मशास्त्र संबंधी अनेक विषयो समजाववानो तथा वीतराग देव-गुरु प्रत्ये भक्तिप्रेरणानो अने अन्य पण, मारा उपर अनेकविध अपार उपकार छे, तेमनां पावनकारी चरणोमां पण आ प्रसंगे श्रद्धांजलिपूर्वक उपकारवशतानी अंतरनी ऊर्मिओ व्यक्त करुं छुं.
अध्यात्मतत्त्वरुचिवान , ऊंडा आदर्श आत्मार्थी, वैराग्यशाळी, विद्वानबंधु, पंडितरत्न श्री हिंमतलाल जेठालाल शाहनो आ भाषान्तर-कार्यमां पूरेपूरो सहयोग छे;