Samaysar Kalash Tika-Gujarati (Devanagari transliteration). Jiv adhikAr Shlok: 1.

< Previous Page   Next Page >


Page 1 of 269
PDF/HTML Page 23 of 291

 

पंडितप्रवर श्री राजमलजी कृत टीकाना
गुजराती अनुवाद सहित
श्रीमद् अमृतचंद्राचार्यदेव विरचित
श्री
समयसार-कलश
जीव अधिकार
(अनुष्टुप)
नमः समयसाराय स्वानुभूत्या चकासते
चित्स्वभावाय भावाय सर्वभावान्तरच्छिदे ।।।।

खंडान्वय सहित अर्थः‘‘भावाय नमः’’ (भावाय) पदार्थ. पदार्थ संज्ञा छे सत्त्वस्वरूपनी. एथी आ अर्थ ठर्योजे कोई शाश्वत वस्तुरूप, तेने मारा (नमः) नमस्कार. ते वस्तुरूप केवुं छे? ‘‘चित्स्वभावाय’’ (चित्) ज्ञानचेतना ते ज छे (स्वभावाय) स्वभावसर्वस्व जेनुं, तेने मारा नमस्कार. आ विशेषण कहेतां बे समाधान थाय छेःएक तो ‘भाव’ कहेतां पदार्थ; ते पदार्थ कोई चेतन छे, कोई अचेतन छे; तेमां चेतन पदार्थ नमस्कार करवा योग्य छे एवो अर्थ ऊपजे छे. बीजुं समाधान आम छे के यद्यपि वस्तुनो गुण वस्तुमां गर्भित छे, वस्तु गुण एक ज सत्त्व छे, तथापि भेद उपजावीने कहेवा योग्य छे; विशेषण कह्या विना वस्तुनुं ज्ञान ऊपजतुं नथी. वळी केवो छे ‘भाव’? ‘‘समयसाराय’’ जोके ‘समय’ शब्दना घणा अर्थ