Samaysar Kalash Tika-Gujarati (Devanagari transliteration). Shlok: 72-74.

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७०

समयसार-कलश
[ भगवानश्रीकुंदकुंद-

पक्षपात छे. जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे तेने निरन्तर चित्स्वरूप जीव चित्स्वरूप ज छे (अर्थात् तेने चित्स्वरूप जीव जेवो छे तेवो निरन्तर अनुभवाय छे). २६७१.

(उपजाति)
एकस्य रक्तो न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।२७-७२।।

अर्थःजीव रागी छे एवो एक नयनो पक्ष छे अने जीव रागी नथी एवो बीजा नयनो पक्ष छे; आम चित्स्वरूप जीव विषे बे नयोना बे पक्षपात छे. जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे तेने निरन्तर चित्स्वरूप जीव चित्स्वरूप ज छे. २७७२.

(उपजाति)
एकस्य दुष्टो न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।२८-७३।।

अर्थःजीव द्वेषी छे एवो एक नयनो पक्ष छे अने जीव द्वेषी नथी एवो बीजा नयनो पक्ष छे; आम चित्स्वरूप जीव विषे बे नयोना बे पक्षपात छे. जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे तेने निरन्तर चित्स्वरूप जीव चित्स्वरूप ज छे. २८७३.

(उपजाति)
एकस्य कर्ता न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।२९-७४।।