Samaysar Kalash Tika-Gujarati (Devanagari transliteration). Shlok: 78-80.

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समयसार-कलश
[ भगवानश्रीकुंदकुंद-

अर्थःजीव सूक्ष्म छे एवो एक नयनो पक्ष छे अने जीव सूक्ष्म नथी एवो बीजा नयनो पक्ष छे; आम चित्स्वरूप जीव विषे बे नयोना बे पक्षपात छे. जे तत्त्व - वेदी पक्षपातरहित छे तेने निरन्तर चित्स्वरूप जीव चित्स्वरूप ज छे. ३२७७.

(उपजाति)
एकस्य हेतुर्न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।३३-७८।।

अर्थःजीव हेतु (कारण) छे एवो एक नयनो पक्ष छे अने जीव हेतु (कारण) नथी एवो बीजा नयनो पक्ष छे; आम चित्स्वरूप जीव विषे बे नयोना बे पक्षपात छे. जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे तेने निरन्तर चित्स्वरूप जीव चित्स्वरूप ज छे. ३३७८.

(उपजाति)
एकस्य कार्यं न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।३४-७९।।

अर्थःजीव कार्य छे एवो एक नयनो पक्ष छे अने जीव कार्य नथी एवो बीजा नयनो पक्ष छे; आम चित्स्वरूप जीव विषे बे नयोना बे पक्षपात छे. जे तत्त्व - वेदी पक्षपातरहित छे तेने निरन्तर चित्स्वरूप जीव चित्स्वरूप ज छे. ३४७९.

(उपजाति)
एकस्य भावो न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ