Samaysar Kalash Tika-Gujarati (Devanagari transliteration). Shlok: 81-82.

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कहानजैनशास्त्रमाळा ]

कर्ताकर्म अधिकार
७३
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।३५-८०।।

अर्थःजीव भाव छे (अर्थात् भावरूप छे) एवो एक नयनो पक्ष छे अने जीव भाव नथी (अर्थात् अभावरूप छे) एवो बीजा नयनो पक्ष छे; आम चित्स्वरूप जीव विषे बे नयोना बे पक्षपात छे. जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे तेने निरन्तर चित्स्वरूप जीव चित्स्वरूप ज छे. ३५८०.

(उपजाति)
एकस्य चैको न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।३६-८१।।

अर्थःजीव एक छे एवो एक नयनो पक्ष छे अने जीव एक नथी (-अनेक छे) एवो बीजा नयनो पक्ष छे; आम चित्स्वरूप जीव विषे बे नयोना बे पक्षपात छे. जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे तेने निरन्तर चित्स्वरूप जीव चित्स्वरूप ज छे. ३६८१.

(उपजाति)
एकस्य सांतो न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।३७-८२।।

अर्थःजीव सान्त (-अन्त सहित) छे एवो एक नयनो पक्ष छे अने जीव सान्त नथी एवो बीजा नयनो पक्ष छे; आम चित्स्वरूप जीव विषे बे नयोना बे पक्षपात छे. जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे तेने निरन्तर चित्स्वरूप जीव चित्स्वरूप ज छे. ३७८२.