Samaysar Kalash Tika-Gujarati (Devanagari transliteration). Shlok: 83-85.

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७४

समयसार-कलश
[ भगवानश्रीकुंदकुंद-
(उपजाति)
एकस्य नित्यो न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।३८-८३।।

अर्थःजीव नित्य छे एवो एक नयनो पक्ष छे अने जीव नित्य नथी एवो बीजा नयनो पक्ष छे; आम चित्स्वरूप जीव विषे बे नयोना बे पक्षपात छे. जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे तेने निरन्तर चित्स्वरूप जीव चित्स्वरूप ज छे. ३८८३.

(उपजाति)
एकस्य वाच्यो न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।३९-८४।।

अर्थःजीव वाच्य (अर्थात् वचनथी कही शकाय एवो) छे एवो एक नयनो पक्ष छे अने जीव वाच्य(वचनगोचर) नथी एवो बीजा नयनो पक्ष छे; आम चित्स्वरूप जीव विषे बे नयोना बे पक्षपात छे. जे तत्त्ववेदी पक्षपातरहित छे तेने निरन्तर चित्स्वरूप जीव चित्स्वरूप ज छे. ३९८४.

(उपजाति)
एकस्य नाना न तथा परस्य
चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात-
स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव
।।४०-८५।।

अर्थःजीव नानारूप छे एवो एक नयनो पक्ष छे अने जीव नानारूप नथी एवो बीजा नयनो पक्ष छे; आम चित्स्वरूप जीव विषे बे नयोना बे पक्षपात छे. जे