Sattasvarup-Gujarati (Devanagari transliteration).

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(७) पूर्वोपार्जित कर्मोदयथी इष्ट-अनिष्ट
संयोगोनुं आववापणुं. ----------------------------- २५
(८) स्तोत्रादिमां भगवानने इष्टना कर्ता
अनिष्टना हर्ता कह्या छे, तेनो साचो मार्ग. ------ २९
(९) पोतानुं भलुं-बूरुं पोताना परिणामथी ज थाय छे
ए माननार भगवाननो साचो सेवक छे.--------- ३०
५. जिनदेवना सेवके साचा देवनुं लक्षण जाणवुं ज जोईए. ३१
६. प्रयोजनभूत बाबतोनी प्रत्यक्ष
अनुमानादि
प्रमाणथी परीक्षा करी प्रतीति करवी. -------------------- ३२
७. नीचेना बोलोनो युक्तिपूर्वक निर्णय करीने
अर्हंत्देवना सेवक थवा बाबत.-------------------- ३५५२
(१) भगवान १८ दोष रहित छे. --------------------- ३७
(२) भगवान ४६ गुण सहित छे. -------------------- ३८
(३) भगवान ध्यानमुद्राना धारक छे. ------------------ ४०
(४) भगवान अंनतचतुष्टय सहित छे. ---------------- ४०
(५) भगवान समवसरणादि रहित छे. ---------------- ४१
(६) भगवान स्वर्ग मोक्षना निमित्त छे. --------------- ४१
(७) सामग्री के संयोग दुःखनुं कारण नथी, चार
प्रकारनी इच्छा ज दुःखनुं कारण छे. सुखनो
इलाज सम्यग्दर्शन वगेरे छे एवा उपदेशना
भगवान आपनार होवाथी तेओ दुःख टाळनार
कहेवाय छे. ---------------------------------------- ४३
८. अर्हंत्देवनुं साचुं स्वरूप. --------------------------------- ५३
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