Sattasvarup-Gujarati (Devanagari transliteration). PrastAvanA.

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प्रस्तावना
श्रीमान् पं. भगवानचंद्रजी छाजेडनुं बनावेलुं सत्तास्वरूप
नामनुं पुस्तक हिंदीमां प्रगट थयुं छे. तेनुं वांचन सोनगढ मुकामे
परमपूज्य सद्गुरुदेव सत्पुरुष श्री कानजीस्वामी पासे थयेलुं; ते
वांचनमां भाग लेनारा मुमुक्षु भाईओने एवी भावना थयेली के
आ शास्त्रनुं गुजराती भाषांतर थाय तो विशेष लाभनुं कारण
थाय. सद्भाग्ये कलोलना रहीश आत्मार्थी भाईश्री सोमचंद
अमथालाल शाहे तेनुं भाषांतर करी आपवानुं स्वीकार्युं, अने ते
पूरुं थतां छपावी प्रसिद्ध करवामां आव्युं छे.
मनुष्यगतिमां जीव जे कुळमां जन्मे छे, ते कुळमां घणा
भागे कोईने कोई प्रकारनी धर्मनी मान्यता होय छे. वळी ते
कुळधर्ममां कोईने देव तरीके, कोईने गुरु तरीके अने कोई
पुस्तकोने धर्मनां शास्त्रो तरीके मानवामां आवे छे. नानपणमां
तेओनी मान्यतानुं तेमने पोषण मळ्या करे छे अने मोटी उंमर
थतां कुळधर्मना स्थानके ए गुरुओ पासे जतां ते विशेषपणे
पोषाय छे.
केटलाक व्यावहारिक केळवणी ले छे, अने त्यांथी जुदा
जुदा संस्कारो मेळवे छे. त्यार पछी तेओ पोतपोताना धंधामां
प्रवेश करे छे. केटलाक पोते पोताना कुळधर्मना अनुयायी छे एम
गणी बीजा धर्म
संप्रदायोनी मान्यताओ साथे अगर वर्तमान
विज्ञान साथे समन्वय करे छे अने पोतानी विशाळ द्रष्टि छे,
एम माने छे.
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