Sattasvarup-Gujarati (Devanagari transliteration). Sixth Avrutti.

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छÕी आवृत्ति प्रसंगे.....
आ ग्रंथनी पांचमी आवृत्ति खपी जवाथी आ छठ्ठी
आवृत्ति छपाववामां आवेल छे.
मुद्रणकार्य ‘कहान मुद्रणालय’ना मालिक श्री ज्ञानचंदजी
जैने काळजीपूर्वक सारुं करी आपेल छे, ते बदल ट्रस्ट तेमनो
आभार माने छे.
आ पुस्तकना पठन-पाठनथी मुमुक्षु आत्मलक्षी तत्त्वज्ञान
प्राप्त करी आत्मार्थने विशेष पुष्ट करे ए ज भावना.
भगवान महावीर
निर्वाण कल्याणक
ता. १७-१०-२००९
साहित्यप्रकाशनसमिति
श्री दि० जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट
सोनगढ-
[ ६ ]
पं. भागचंद्रजी कृत ‘सत्तास्वरूप’मां अर्हंतनुं स्वरूप जाणीने
गृहीत मिथ्यात्व टाळवानुं स्वरूप बहु सारी रीते समजावेल छे.
परमार्थतत्त्वना विरोधी एवां कुदेव, कुगुरु अने कुशास्त्रने ठीक न
मानवां ते गृहीत मिथ्यात्व छे.
हुं परनो कर्ता छुं, (कर्मथी) रोकायेलो छुं, परथी जुदो
स्वतंत्र नथी, शुभरागथी मने गुण थाय छे एवी जे ऊंधी
मान्यता अनादिथी छे; ते अगृहीत मिथ्यात्व अथवा
निश्चयमिथ्यात्व छे.
ते निश्चयमिथ्यात्व टाळवा पहेलां, जे गृहीत मिथ्यात्व
अथवा व्यवहारमिथ्यात्व छे ते टाळवुं जोईए.
पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामी