Sattasvarup-Gujarati (Devanagari transliteration).

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मटाडवाना उपायो आ शास्त्रमां घणी असरकारक रीते कहेवामां
आवेल छे.
गृहीत मिथ्यात्व टळ्या विना अगृहीत मिथ्यात्व टळे नहीं.
जीवे पूर्वे अनंतीवार गृहीत मिथ्यात्व छोड्युं छे पण शुभ विकल्पथी
आत्माने लाभ थाय एवुं अनादिथी चाल्युं आवतुं अगृहीत
मिथ्यात्व छोड्युं नथी, तेथी आ संसार उभो रह्यो छे.
मुमुक्षु जीवोए देव, गुरु अने शास्त्रनो संशय, विपर्यय अने
अनध्यवसाय रहित यथार्थ निर्णय करी गृहीत मिथ्यात्व छोडवुं अने
उपादाननो (पोताना आत्माना अभेदस्वरूपनो) संशय, विपर्यय
अने अनध्यवसाय रहित यथार्थ निर्णय करवो; के जेथी
सम्यग्दर्शननो अपूर्व लाभ थाय.
आ शास्त्रमां ते सिवाय बीजा अगत्यना अने अभ्यास
करवा लायक विषयो पण लेवामां आव्या छे तेनी विगत
विषयसूचीमां आपी छे; माटे आ शास्त्र वांची
विचारी तेना भावो
आत्मामां यथार्थरूपे परिणमाववा सर्वे जिज्ञासुओने विनंती छे.
सं. २००३
महा सुद
सोम.
रामजी माणेकचंद दोशी
प्रमुख
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट
सोनगढ (सौराष्ट्र)
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