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[ सर्वज्ञ सत्तास्वरूप
५. साध्यनी पछी थवावाळा हेतुने देखी साध्यनो निश्चय
करवो; जेम के – रोहिणीनो उदय देखी कृतिकानक्षत्र थई गयानो
निश्चय करवो, ते उत्तरहेतु छे.
६. जे साध्यनी साथेसाथे होय तेने देखी साध्यनो निश्चय
करवो, जेम के – प्रकाशने देखी सूर्यना उदयनो निश्चय करवो, ते
सहचरहेतु छे.
७. कर्ताना साधनथी साध्यभूतकार्यनो निश्चय करवो; जेम
के – वगर चाख्ये लाडुना सारापणानो हलवाईना नामथी निश्चय
करवो के आ लाडु फलाणा कंदोईना बनावेला छे माटे सारा
छे, ते कर्तारूपहेतु छे.
८. कार्यरूपहेतुना साधन वडे कर्तारूप साध्यनो निश्चय
करवो; जेम के – सारा कपडाना ताकाने जोई तेने वणवावाळा
कारीगरनो निश्चय करवो, ते कार्यरूपहेतु छे.
९. करणना साधन वडे ते द्वारा थवावाळा कार्यरूप
साध्यनो निश्चय करवो; जेम के – कोईना बूरा भावो जोईने एम
कहेवुं के ‘आ पुरुष नर्कमां जशे’, ते करणरूपहेतु छे.
१०. संप्रदानसाधन वडे निश्चय करवो ते संप्रदानरूपहेतु
छे जेम रसोई बनाववावाळा रसोईयाने पूछवुं के – आ रसोई
कोना माटे कई क्रियाथी बनावो छो? त्यारे तेणे कोई क्रियाने
बतावी, तेथी आम निश्चय थवो के – आ रसोई उज्ज्वलताथी
बनी छे, तेनुं नाम संप्रदानहेतु छे.