Sattasvarup-Gujarati (Devanagari transliteration).

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७८ ]
[ सर्वज्ञ सत्तास्वरूप
५. साध्यनी पछी थवावाळा हेतुने देखी साध्यनो निश्चय
करवो; जेम केरोहिणीनो उदय देखी कृतिकानक्षत्र थई गयानो
निश्चय करवो, ते उत्तरहेतु छे.
६. जे साध्यनी साथेसाथे होय तेने देखी साध्यनो निश्चय
करवो, जेम केप्रकाशने देखी सूर्यना उदयनो निश्चय करवो, ते
सहचरहेतु छे.
७. कर्ताना साधनथी साध्यभूतकार्यनो निश्चय करवो; जेम
केवगर चाख्ये लाडुना सारापणानो हलवाईना नामथी निश्चय
करवो के आ लाडु फलाणा कंदोईना बनावेला छे माटे सारा
छे, ते कर्तारूपहेतु छे.
८. कार्यरूपहेतुना साधन वडे कर्तारूप साध्यनो निश्चय
करवो; जेम केसारा कपडाना ताकाने जोई तेने वणवावाळा
कारीगरनो निश्चय करवो, ते कार्यरूपहेतु छे.
९. करणना साधन वडे ते द्वारा थवावाळा कार्यरूप
साध्यनो निश्चय करवो; जेम केकोईना बूरा भावो जोईने एम
कहेवुं के ‘आ पुरुष नर्कमां जशे’, ते करणरूपहेतु छे.
१०. संप्रदानसाधन वडे निश्चय करवो ते संप्रदानरूपहेतु
छे जेम रसोई बनाववावाळा रसोईयाने पूछवुं केआ रसोई
कोना माटे कई क्रियाथी बनावो छो? त्यारे तेणे कोई क्रियाने
बतावी, तेथी आम निश्चय थवो के
आ रसोई उज्ज्वलताथी
बनी छे, तेनुं नाम संप्रदानहेतु छे.