Shastra Swadhyay-Gujarati (Devanagari transliteration). UpAdAn nimitt sanvAd.

< Previous Page   Next Page >


Page 191 of 214
PDF/HTML Page 203 of 226

 

background image
श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर टस्ट, सोनगढ -
भैया भगवतीदासजी कृत
उपादान-निमित्त संवाद
(दोहा)
पाद प्रणमि जिनदेवके, एक उक्ति उपजाय;
उपादान अरु निमित्तको, कहुं संवाद बनाय. १.
पूछत है कोऊ तहां, उपादान किह नाम;
कहो निमित्त कहिये कहा, कबके हैं इह ठाम. २.
उपादान निजशक्ति है, जियको मूल स्वभाव;
है निमित्त परयोगतें, बन्यो अनादि बनाव. ३.
निमित्त कहै मोकों सबै, जानत हैं जगलोय;
तेरो नाँव न जानहीं, उपादान को होय. ४.
उपादान कहै रे निमित्त, तू कहा करे गुमान;
मोकों जानें जीव वे, जो हैं सम्यक्वान. ५.
कहैं जीव सब जगतके, जो निमित्त सोई होय;
उपादानकी बातको, पूछे नांहि कोय. ६.
उपादान बिन निमित्त तू, कर न सकै इक काज;
कहा भयौ जग ना लखै, जानत हैं जिनराज. ७.
देव जिनेश्वर, गुरु यती, अरु जिन-आगम सार;
इहि निमित्ततें जीव सब, पावत हैं भवपार. ८.