भजनमाळा ][ ३५
बीच भंवरसे बेडा हमारा,
तारो तो तिर जाये...प्रभु० (२)
सेवक की स्वामी सुध लीजे,
औगुण सारे माफ करी जे,
शीघ्र ही शिवपुर दे दीजे,
जन्म सफल हो जाये.... प्रभु० (३)
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श्री वीर जिन स्तवन
दुःख मेटो...दुःख मेटो वीर हमारे हम आये द्वार तुम्हारे....
नहीं और कोई चित्त भाता तुम्हीं हो स्वामी हमारे...दुःख
तुम महावीर कहलाये तज राजपाट वन धाये,
निजध्यान की धुन मचाये लाखों जीवों को तारे...दुःख मेटो (१)
गणधर गौतमको तारे...प्रभु! आप समान बनाये,
उनको भवपार लगाये जो आया शरण तुम्हारे...दुःख मेटो (२)
श्रीपालको तुमने उबारा मैना के दुःख को टारा,
थे सती अंजना के प्रणको हो तुम्ही पूरण हारे...दुःख मेटो (३)
दरबार में तेरे आकर खाली नहीं जाता चाकर,
हम सबकी झोली भरदे मैं पूजूं चरण तिहारे....दुःख मेटो (४)
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