Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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९६ ][ श्री जिनेन्द्र
विरह पड्या आ भरतक्षेत्रमां,
त्रिलोकीनाथना आज.....वीर.
हे वीर! हे वीर! भरतक्षेत्रमां,
सेवक करे तुने साद.....वीर.
सिद्ध मंदिरे नाथ बिराज्या,
शासनमां जाग्या कोई संत.....वीर.
साद सांभळ्यो सेवक तणो ए,
जाग्या कुंदकहान संत.....वीर.
कुंदकुंद अमृतादि कहानगुरु पाकीया,
शासनना रक्षणहार.....वीर.
कहानगुरुने श्रुतसागर ऊछळ्या,
अमृत वरस्या मेह.....वीर.
आतम आधार ए अम सेवकना,
शिवपुरनो ए साथ.....वीर.
श्री स्तवन
(अयोध्या नगरीमां जनमिया रे लालराग)
अनंत चतुर्दशी दिन आजनो रे लाल,
जिनदेव झूले आनंदरसे रे लाल;
धन्य दिवस चिद्धर्मना रे लाल.
अनंतानंद प्रगटो मुज अंतरे रे लाल,
सेवक इच्छे ए स्वरूपने रे लाल.....धन्य.