स्तवनमाळा ][ ९५
श्री जिन – स्तवन
(भेटे झूले छे तलवार – राग)
निर्वाण महोत्सव दिन आज,
वीर प्रभु सिद्ध थया छे.
वीर जिनेश्वर सिद्ध थया छे,
गौतम केवळज्ञान.....वीर.
समश्रेणी प्रभु पावापुरीमां,
मुक्तिमां बिराज्या नाथ.....वीर.
अनादि देहनो संबंध छूटीने,
चैतन्य गोळो छूट्यो आज.....वीर.
योग विभावनुं कंपन छूट्युं,
अनंत अकंपता आज.....वीर.
अनंत अनंत गुण पर्याये परिणम्या,
प्रगट्यो अगुरुलघु महान.....वीर.
पुनित पगलां काल हतां भरतमां,
आजे थया चिद्दबिंब.....वीर.
काले वीरजी अरिहंत हता,
आजे सिद्ध भगवान.....वीर.
भरतक्षेत्रे पावापुरीमां,
स्मरण वीरनां थाय.....वीर.
देव देवेंद्रो पावापुरीमां ऊतर्या;
निर्वाण महोत्सव काज.....वीर.