Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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स्तवनमाळा ][ १२५
गृहणी पंच जु ना गृहे जगसार हो,
वासुपूजय जिनराव,
मल्लि नेमि श्री पार्श्वजी जगसार हो,
महावीर शिव चाव.
शिव चाव जिन त्रय ज्ञान जुत दश जन्म अतिशय सब लहै,
इह जन्मकल्याणक सु महिमा थकत है बुधजन रहै.
सो अल्पमति मैं कहन उमग्यो कहौं कैसे नाथजी,
जिम बाल जल-प्रतिबिंब चाहै लहैं कैसे हाथजी. ९.
( धत्ता )
श्री जिन गुणमालं विविध प्रकारं
अमल अपारं सुखकारी,
जो अहोनिशि ध्यावै, पाप नशावै,
शिवपद पावै दुःखहारी. १०
तपकल्याणक वर्णन
( सोरठा )
जान्यो संयम काल, तन धन जग सब अथिर लखि,
तजयो सर्व जंजाल, शिवसुखकारी तप धरो. १.
( रोला छंद )
संयम को लखि काल प्रभू वैराग चितारो,
तन धन जोवन रूप विमल सब अथिर विचारो;
कोऊ क्षेत्र सु काल दर्व कोउ जीव न ऐसो,
जाके शरणें जाय हरे भव संकट तैसो. २.