Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 124 of 253
PDF/HTML Page 136 of 265

 

background image
१२४ ][ श्री जिनेन्द्र
जोजन आठ गहीर है जगसार हो,
चव जोजन चकराव,
मुख जोजन इक सोहनो जगसार हो,
भाख्यो श्री जिनराव.
जिनराव सुरपति नहवन कीनो अघघ भभ भभ धार ही,
पुनि पोंछी शचि शृंगार कीनो यथा उचित सुधार ही;
फिर आय मात जगाय बालक देय नाम कह्यो सही,
तब हरष जुत संगीत नृत्य आरंभ कीनो सुरत ही. ६.
नाना विधि को वरण वै जगसार हो,
देखत अद्भुत थाय,
बाजे तल टंकोर ही जगसार हो,
बीन बांसुरी गाय.
गाय तकिट धकिट सु धुमकिट तकथि लांग मृदंग ही,
सारंगी डाडा रासनन नन सो तारडिर्डिर्दढंग ही;
तहं तान लय सुर ग्राम मूर्छन भेद जुत तननन सही,
चट पट सु अट पट झठ नटत ठठ नृत्य तांडव ठनत ही. ७.
इम बहु पुन्य उपाय ही जगसार हो,
एक भव धारी होय,
धनपति रखि निज थल गयो जगसार हो,
बालचन्द्र वृद्ध होय.
होय वृद्ध सु बाल जिनपति मात उर आनंद लहैं,
तब देख जुवान विवाह गुरुजन करन प्रति जिनपति कहै;
तामें सु जिन उनईस कीनो राज भोग संजोग ही,
तामें भये त्रय चक्रधर जिन शान्ति कुन्थु अरह कही. ८.