Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 11 of 253
PDF/HTML Page 23 of 265

 

background image
स्तवनमाळा ][ ११
स्व पर विवेक मंत्री पुनीत,
स्व रुचि वरतायो राजनीत;
जग विभव विभाव असार एह,
स्वातम सुखरस विपरीत देह.
तिन नाशन लीनो द्रढ संभार,
शुद्धोपयोग थित चरण सार;
निर्ग्रंथ कठिन मारग अनूप,
हिंसादिक टारन सुलभ रूप.
द्वयवीस परीसह सहन वीर,
बहिरंतर संयम धरण धीर,
द्वादश भावन दश भेद धर्म,
विधिनाशन बारह तप सु पर्म.
शुभ दया हेत धरि समिति सार,
मन शुद्ध करण त्रय गुप्त धार;
एकाकी निर्भय निस्सहाय,
विचरो प्रमत्त नाशन उपाय.
लखि मोह शत्रु परचंड जोर,
तिस हनन शुक्ल दल ध्यान जोर;
आनंद वीररस हिये छाय,
क्षायक श्रेणी आरंभ थाय.
बारम गुणथानक ताहि नाश,
तेरम पायो निजपद प्रकाश;