Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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२४ ][ श्री जिनेन्द्र
तव भक्तिसे भव के दुःख मिट जाते हैं, जाते हैं.
पापी तक भी भवसागर तिर जाते हैं, जाते हैं
शिवपद वह ही पाये रे, शरणागत में तेरी,
जो जीव आया, पाया, तेरा दरश पाया.
सांच कहूं खोई निधि मुझको मिल गई, मिल गई,
उसको पाकर मनकी कलियां खिल गई, खिल गई;
आशा होगी पूरी रे, आश लगाके ‘‘वृद्धि’’
तेरे द्वार आया, पाया, तेरा दरश पाया.
श्री जिनस्तवन
द्रग में बसी है मूरतिया पदम तेरी,
द्रग में बसी है मुरतिया. टेक
सौभाग्य से शुभ अवसर यह आया, दरश तिहारा पाया,
गाऊं मैं गुण दिन रतियां, मैं गुण दिन रतियां,
पदम तेरी०
उमंगे हैं नैना जिया हर्षाया, द्वार तेरे में आया,
सुन सुन अनोखी बतियां, अनोखी बतियां.
पदम तेरी०
लाखों की विपदा है तूने मिटाई, मेरी भी करले सुनाई,
भ्रमूं ना ‘‘वृद्धि’’ चहूं गतियां, ना वृद्धि चहूं गतियां.
पदम तेरी०