Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 25 of 253
PDF/HTML Page 37 of 265

 

background image
स्तवनमाळा ][ २५
श्री जिनस्तवन
मैं तेरे ढिंग आया रे, पदम तेरे ढिंग आया,
मुख मुख से जब सुनि प्रशंसा, चित्त मेरा ललचाया,
चित्त मेरा ललचाया रे. पदम तेरे० टेक
चला मैं घर से तेरे दरश को, वरणूं क्या क्या मेरे हर्षको,
मैं क्षण क्षण में नाम तिहारा, रटता रटता आया,
मैं रटता रटता आया रे. पदम तेरे०
पथ मैं मैंने पूछा जिसको, पाया तेरा तेरा यात्री उसको,
यह सुन सुन मन हुआ विभोरित, मग नहीं मुझे अघाया,
मग नहीं मुझे अघाया रे. पदम तेरे०
सन्मुख तेरे भीड लगी है, भक्ति की की इक उमंग जगी है,
सब जय जय का नाद उचारें, शुभ अवसर यह पाया,
शुभ अवसर यह पाया रे. पदम तेरे०
सफल कामना कर प्रभु मेरी, पाऊं मैं मैं चरणरज तेरी,
होगी पुण्य ‘‘वृद्धि’’ आशा है, दरश तिहारा पाया,
दरश तिहारा पाया रे. पदम तेरे०
श्री जिनस्तवन
(तर्ज जब तुम्हीं चले परदेश)
जल चले गये भरतारमेरे गिरनार हे मेरी सहेली,
मैं क्यों कर रहूं अकेली. टेक
लो आभूषण नहीं भाते हैं, ये पियु बिन नहीं सुहाते हैं,
जब नव भव के साथीने दिक्षा लेली. मैं क्यों कर.