Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 26 of 253
PDF/HTML Page 38 of 265

 

background image
२६ ][ श्री जिनेन्द्र
गिरनारी मैं भी जाऊंगी, शिवपुरी में चित्त लगाऊंगी,
मैं संयम धार करूं तप से अठखेली. मैं क्यों कर.
जो उनके मन में भाया है, मेरे भी वही समाया है,
लूं सुलझा ‘वृद्धि’ उलझी कर्म पहेली. मैं क्यों कर.
श्री जिनस्तवन
(तर्ज सावन के बादलो उनसे यह जा कहो)
चरणों में जगह दो, भव पार लगादो,
तदबीर करूं क्या मैं, यह मुझको बतादो. चरणों० टेक०
संकट का हूं मारा, कर्मों से मैं हारा,
जाल इनका है भारी, प्रभु मोहे इनसे छुडादो. चरणों०
जिस दिवसे हुए संग हैं, करते मुझे ये तंग हैं,
करते मुझे ये तंग हैं,
रह रह कर सताते हैं प्रभु, इनसे छुडा दो. चरणों०
भूला हूं ‘वृद्धि’ पथ को शरणा तेरा मिले मुझको,
शरणा तेरा मिले मुझको,
जिस राह गये मोक्ष वह मुझको भी सुझादो. चरणों०
श्री जिनस्तवन
(तर्ज रुमझुम बरसे बदरवा)
तन मन फूला दर्शन पा, नष्ट हुआ दुख सारा,
सभी सुख पाया, पाया, सभी सुख पाया. हो तन० टेक०
प्यासे प्यासे नैना कबसे तरस रहे, तरस रहे,
दर्शन जल पानें को रो रो बरस रहे, बरस रहे,