स्तवनमाळा ][ ३९
सकाशास तेरे लगी देन जेवा,
नमों जय हमें दीजिये पादसेवा. ३
लखे रूप तेरो करे शुद्धताई,
न लागे कभी ताहि कर्मादि काई;
महा शान्तिता सुख्य ही में धरेवा,
नमों जय हमें दीजिये पादसेवा. ४
प्रभुनामरूपी दिया जीभ द्वारे,
धरे वारि सो बाह्याभ्यंतर निहारे;
पिछाने भली भांति सो आत्ममेवा,
नमों जय हमें दीजिये पादसेवा. ५
न देखी कभी सो लखे मुक्तिधामा,
तहां जायके वेश पावे अरामा;
बिराजे तिहूं लोकमें जा मथेवा,
नमों जय हमें दीजिये पादसेवा. ६
नवावें तुम्हें लोक में माथ जेते,
करें पाद – पूजा भलीभांति तेते;
तिन्होंकी सदा त्रास भवकी कटेवा,
नमों जय हमें दीजिये पादसेवा. ७
अतः देव तुभ्यं नमस्कार कीजे,
बडाई तिहूं लोकमें पाय लीजे;
सबै जन्मकी कालिमा जो मिटावे,
नमों जय हमें दीजिये पादसेवा. ८
महालोभरूपी घटाको हवा जू,
बलीमान सुन्डाल कंठरिबा तू;