Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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५२ ][ श्री जिनेन्द्र
श्री सीमंधार स्वामीनुं स्तवन
(रागपपीहा रे, मेरे पियासे कहियो जाय)
शशीयारे शशीयारे शशीयारे,
मेरे प्रभुसे कहियो जाय.
सीमंधर तोरा दर्श चाहूं,
दिलडां न बहु तलसाव.
मैं चाहूं तुम दर्शन हमेशां,
पडा हूं तुमसे दूर.
कोस हजारों अंतर बीचमें,
मिलनेसे मजबूर हां;
भरतक्षेत्रमें मैं हूं बैठा,
अहनिश ध्यान लगाय.
पर्वत नदिया बीचमें कितने,
विरह दर्शका घोर,
पल पल ध्यान में धरूं तुमारा,
जलदी दर्श दिखाय.
नहि मिलते हां प्रभुजी मेरे,
कांप रही मेरी काय हवेली;
एक वार जो दर्श मिले तो,
सुखकी ल्हेर लगी जो;
प्यारा प्यारा पळ पळ सुमरूं,
सीमंधर दर्शन दीजे;
तेरी याद में आंखें भर गई,
चित्त रहा कंपाय.