स्तवनमाळा ][ ५३
पांख होय तो ऊड कर आउं,
ज्ञान आंख जो होय अलबेली;
देखूं तुमरा जरूर प्रभुजी,
दिलगी खूब उडाउं.
उस दिन जागे भाग्य हमारा,
वाणी काने पिलाउं;
आतममांही द्रष्टि मिल गई,
मानूं सेवा पाय. ५
श्री जिनवाणी – स्तवन
(राग – देखा करो भगवान)
कृपा करो भगवान जीवनकी तू आशा,
जीवनकी तू आश;
दिन रात आप ध्यानमें,
मस्तान पीछे क्या? कृपा करो० १
आत्मनका जगान है मुझे,
भक्ति जो हरगिज मिला;
कर्म कटककूं दूर हटा कर,
सेवामें मस्तान पीछे क्या? कृपा करो० २
प्रीतिसे सेवा चहूं तोरी,
शुद्ध भावसे भरेरी;
श्री देव गुरु वाणीसे,
समकित चित्त शुद्ध ध्यान, पीछे क्या? कृपा करो० ३