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सातमी आवृत्ति प्रतः २००० वि.सं. २०६१ इ.स. २००५
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श्री सीमंधरभगवान आदि जिनेन्द्रोनी भव्य अने
अतिभाववाहिनी जिनेश्वरस्वरूप जिनमुद्रानी,
परम पूज्य अध्यात्मयोगी स्वपरकल्याणक
सद्गुरुदेव श्री कानजीस्वामीना परम पवित्र
करकमळे प्रतिष्ठा थई. श्री जिनेश्वरदेवोनी
स्तवनाने माटे श्री जिनेन्द्रदेव तथा परमोपकारी
श्री सद्गुरुदेवना प्रतापे आ स्तवन मंजरी
तैयार थई छे.....
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प्रभु अनंत गुणे बिराजो;
प्रभु तुंहि चिंतामणि मळियो,
प्रभु बहु दूरे तमे वसिया;
प्रभु मंगल मूर्ति तुमारी,
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त्यागी राज्यादिक विभवने जे थया मौनधारी;
वे’तो कीधो सुगम सबळो मोक्षनो मार्ग जेणे,
वन्दुं छुं ते ॠषभजिनने धर्मधोरी प्रभुने.
ने हैयुं आ फरीफरी प्रभु ध्यान तेनुं धरे छे;
आत्मा मारो प्रभु तुज कने आववा उल्लसे छे,
आपो एवुं बळ हृदयमां माहरी आश ए छे.
जेनी वाणी भविक जनना चित्तमां नित्य गाजे;
देवेन्द्रोनी प्रणयभरनी भक्ति जेने ज छाजे,
वंदुं ते संभवजिनतणां पादपद्मो हुं आजे.
घाती कर्मोरूप मृग विषे केसरी सिंह जेवा;