जन्म जरा ने मरणनिवारक, आतमज्ञाने भरियारे,
बलिहारी प्रभु तमारा नामने, वारी जाउं गुण-दरियारे; नमुं० १
वस्तुतत्त्वनो प्रकाश करता, सुरनर पूजित पाया;
कर्मगजेंद्रनी घटा निवारी, केसरीसिंह जिनरायारे; नमुं० २
सर्वगुणोदधि चन्द्रमा जिनजी, देवोमां देव कहाया;
आतमरंगमां भंग न पाड्यो, म्हाल्या अचल सुखरायारे, नमुं० ३
वही गया काळचक्र अनंता, भेट्यां आ भव महारायां;
म्हेर करो प्रभु! दीन सेवक पर, चरणे प्रेम लगायारे; नमुं० ४
निश्चय व्यवहारे प्रभुने पूजतां, पातक जाय दुःखदाया;
अरिहंतादिनी आराधनाथी, दास वरे शिवरायारे; नमुं० ५
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श्री नेमिनाथ जिन – स्तवन
(राग – वासुपूज्य विलासी चंपाना वासी)
श्री नेमिजिनेश्वर, छो जगदीश्वर, वंदीए वारंवार;
जगतना आधार धर्मना दातार वंदीए वारंवार. (टेक)
बाल ब्रह्मचारी नेमिजिनेश्वर, निरखत नयनानंद;
लक्षण-लक्षित निज आतमथी साध्यो? पूर्णानंदरे, श्री० १
चंदन समान शांति करनारा, हर्ता कर्मनां वृंद;
द्रष्टि सुधासम वदन मनोहर, सेवे सुरनर वृंदरे. श्री० २
परम कृपाळु परम दयाळु, स्वभावे परमानंद;
परम पुरुष परम प्रधान, केवल ज्ञानानंदरे. श्री० ३
८२ ][ श्री जिनेन्द्र