Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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श्री सुजातस्वामीको प्रणाम नित्य भव्य करैं,
जाके नाम लिये कुल पातक विलात हैं. ५
(६) श्री स्वयंप्रभु जिनस्तुति
(सवैयामात्रिक)
श्री स्वयंप्रभु शशिलंछन पति तीनहुं लोकके नाथ कहावें,
मित्रभूतभूपतिके नंदन विज्या नगर जिनेश्वर आवें;
धन्य सुमंगला जिनकी जननी, इन्द्रादिक गुण पार न पावें,
भव्यजीव परणाम करतु है, जिनके चरन सदा चित्त लावें.
(७) श्री ॠषभानन जिनस्तुति
(छप्पय)
श्री ॠषभानन अरहंत, कीर्तिराजाके नंदन,
सुरनर करहिं प्रणाम, जगतमें जिनको वंदन;
वीरसेनसुतलशय, सिंहलच्छन जिन सोहै,
नगर सुसीमा जन्म देखि, भविजनमन मोहै;
अमलान ज्ञान केवल प्रगट, लोकालोक प्रकाशधर,
तल चरनकमल वंदन करत, पापपहार परांहिं पर.
(८) श्री अनंतवीर्य जिनस्तुति
(कवित्त)
श्री अनंतवीर्यसेव कीजिये अनेक भेव,
विद्यमान येही देव मस्तक नवाइये;
८८ ][ श्री जिनेन्द्र