Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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देवानंद भूमिपतिके सुत, निशिवासर बंदहिं सुर पांव,
भरत क्षेत्रतैं करहि वंदना, ते भविजन पावहिं शिवठांव. १३
(१४) श्री भुजंगम जिनस्तुति
(सवैया)
महिमा मात महाबलराजा, लच्छन चंद धुजा पर नीको,
विजय नग्र भुजंगम जिनवर, नांव भलो जगमें जिनहीको;
गणधर कहै सुनो भविलोको, जाप जपो सबही जिनजीको,
जास प्रसाद लहै शिवमारग, वेग मिलै निजस्वाद अमीको. १४
(१५) श्री ईश्वर जिनस्तुति
(मात्रिककवित)
इश्वरदेव भली यह महिमा, करहि मूल मिथ्यातमनाश,
जस ज्वाला जननी जगकहिये, मंगलसैन पिता पुनि पास;
नगरी जस सुसीमा भनिये, दिनपति चर्ण रहै नित तास,
तिनको भावसहित नित बंदै, एकचित्त निहचै तुम दास. १५
(१६) श्री नेमप्रभ जिनस्तुति
(कवित)
लच्छन वृषभ पांय पिता जास वीरराय,
सेना पुनि जिनमाय सुंदर सुहावनी;
नगरी अजोध्या भली नवनिधि आवै चली,
इन्द्रपुरी पांय तली लोकमें कहावनी.
स्तवन मंजरी ][ ९१