नेमिप्रभु नाथ वानी अमृत समान मानी,
तिहूँ लोक मध्य जानी दुःखको बहावनी;
भविजीव पांय लागै सेवा तुम नित मागै,
अबै सिद्धि देहु आगै सुखको लहावनी. १६
(१७) श्री वीरसेन जिन – स्तुति
(सवैया)
महा बलवंत, बडे भगवंत, सवै जिय-जंत सुतारनकौ,
पिता भुवपाल, भलो तिन भाल लह्यो निजलाल उधारनको;
पुंडरी सु वासहि रावन पास, कहै तुम दास उधारनको,
वीरसेनराय भली भानुमाय, तारो प्रभु आय विचारनको. १७
(१८) श्री महाभद्र जिन – स्तुति
(सवैया)
महाभद्र स्वामी तुम नाम लिये, सीझे सब काम विचारनके,
पिता देवराज उमादे माय, भली विजया निसतारनके,
शशि सेवै आय, लगै तुम पाय भले जिनराय उधारनके,
किरपा करि नाथ गहो हम हाथ, मिलै जिन साथ तिहारनके. १८
(१९) श्री देवजस जिन – स्तुति
(सवैया)
जिन श्री देवजस स्वामी, पिता श्रवभूत भनिज्जै,
लच्छन स्वस्तिक पांव, नांव तिहुं लोक गुणिज्जै;
९२ ][ श्री जिनेन्द्र