Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 121 of 438
PDF/HTML Page 139 of 456

 

background image
(रोडक छन्द)
परमप्रबोध परोक्षरूप परमादनिकन्दन,
परमध्यानधर परमसाधु, जगपति जगवंदन;
जिनजिनपतिजिनसिंह, जगतमणिबुधकुलनायक,
कल्पातीत कुलालरूप, द्रग्मय द्रगदायक. ४६
कोपनिवारण धर्मरूप, गुणराशि रिपुंजय,
करुणासदन समाधिरूप शिवकर शत्रुंजय;
परावर्त्तरूपी प्रसन्न, आतमप्रमोदमय;
निजाधीन निर्द्वन्द, ब्रह्मवेदक व्यतीतभय. ४७
अपुनर्भव जिनदेव सर्वतोभद्र कलिलहर,
धर्माकर ध्यानस्थ धारणाधिपति धीरधर;
त्रिपुरगर्भ त्रिगुणी त्रिकाल कुशलातपपादप,
सुखमन्दिर सुखमय अनन्तलोचन अविषादप. ४८
लोकअग्रवासी त्रिकालसाखी करुणाकर,
गुणआश्रय गुणधाम गिरापति जगतप्रभाकर;
धीरज धौरी धौतकर्म धर्म्मग धामेश्वर,
रत्नाकर गुणरत्नराशि रंजहर रामेश्वर. ४९
निरलिंग शिवलिंगधार बहुतुंड अनानन,
गुणकदम्ब गुणरसिक रूपगुण-अंघ्रिप-कानन;
स्तवन मंजरी ][ १२१