निरअंकुश निरधाररूप निजपर परप्रकाशक,
विगतास्रव निरबंध बंधहर बंधविनाशक. ५०
वृहत अनंक निरंश अंशगुणसिन्धु गुणालय,
लक्ष्मीपति लीलानिधान वितपति विगतालय;
चन्द्रवदन गुणसदन चित्रधर्म सुखथानक,
ब्रह्माचारी वज्रवीय बहुविधि निरवानक. ५१
(दोहा)
सुखकदम्ब साधकसरन, सुजन इष्टसुखवास;
बोधरूप बहुलातमक, शीतल शीलविलास. ६२
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(रूप चौपाई)
केवलज्ञानी केवलदरसी, सन्यासी संयमी समरसी,
लोकातीत अलोकाचारी, त्रिकालज्ञ धनपति धनधारी. ५३
चिन्ताहरण रसायन रूपी, मिथ्यादलन महारसकूपी,
निर्वृतिकर्ता मृषापहारी, ध्यानधुरंधर धीरजधारी. ५४
ध्याननाथ ध्यायक बलवेदी, घटातीत घटहर घटभेदी,
उदयरूप उद्धत उतसाही, कलुषहरणहर किल्विषदाही. ५५
❋वीतरागबुद्धि सुविचारी, चन्द्रोपम वितन्द्र व्यवहारी;
अगतिरूप गतिरूप विधाता, शिवविलास शुचिमय सुखदाता. ५६
❋ पाठांतरः वीतराग बुद्धिश विषारी.
१२२ ][ श्री जिनेन्द्र