ॐ
श्री सीमंधर जिन – स्तवन
(राग – प्रेम धर्मनो जगाव)
अंतरजामी जिनराज
तारो तारो महाराज,
आतमरामी शिरताज,
तारो तारो महाराज.....ए राह.
सीमंधर स्वामी त्राता,
सती सत्यकी छे माता;
भलुं दर्शन थयुं आज, तारो.......१
प्रभु अनंत गुणे बिराजो;
अपूर्व दिव्य ध्वनिए गाजो.
तरण तारण जहाज, तारो.......२
प्रभु तुंहि चिंतामणि मळियो,
दुःख दहाडो स्हेजे टळियो;
सर्यां सेवकनां सहु काज, तारो.......३
प्रभु बहु दूरे तमे वसिया;
पण मनडाथी नवि खसिया;
जेम मयूरने मेघराज, तारो.......४
प्रभु मंगल मूर्ति तुमारी,
देखी सुवर्णपुरी मोझारी;
हुं तो पाम्यो अमृत राज, तारो.......५
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स्तवन मंजरी ][ १