Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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श्री चतुर्विंशति जिन-स्तुति
(छंदः मन्दाक्रान्ता)
१. श्री ॠषभदेव जिनस्तुति
जेणे कीधी सकल जनता नीतिने जाणनारी,
त्यागी राज्यादिक विभवने जे थया मौनधारी;
वे’तो कीधो सुगम सबळो मोक्षनो मार्ग जेणे,
वन्दुं छुं ते ॠषभजिनने धर्मधोरी प्रभुने.
२. श्री अजितनाथ जिनस्तुति
देखी मूर्ति अजितजिननी नेत्र मारां ठरे छे,
ने हैयुं आ फरीफरी प्रभु ध्यान तेनुं धरे छे;
आत्मा मारो प्रभु तुज कने आववा उल्लसे छे,
आपो एवुं बळ हृदयमां माहरी आश ए छे.
३. श्री संभवनाथ जिनस्तुति
जे शान्तिना सुख सदनमां मुक्तिमां नित्य राजे;
जेनी वाणी भविक जनना चित्तमां नित्य गाजे;
देवेन्द्रोनी प्रणयभरनी भक्ति जेने ज छाजे,
वंदुं ते संभवजिनतणां पादपद्मो हुं आजे.
४. श्री अभिनन्दन जिनस्तुति
चोथा आरारूप नभ विषे दीपतां सूर्य जेवा,
घाती कर्मोरूप मृग विषे केसरी सिंह जेवा;
२ ][ श्री जिनेन्द्र