Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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साचे भावे भाविक जनने आपता मोक्ष मेवा,
चोथा स्वामी चरणयुगले हुं चहुं नित्य रहेवा.
५. श्री सुमति जिनस्तुति
आ संसारे भ्रमण करतां शान्ति माटे जिनेन्द्र,
देवो सेव्या कुमति वशथी में बहुये मुनीन्द्र;
तो ये ना’व्यो भवभ्रमणथी छूटकारो लगारे;
शान्तिदाता सुमतिजिनजी देव छे तुं ज मारे.
६. श्री पद्मप्रभ जिनस्तुति
सोना केरी सुरविरचिता पद्मनी पंक्ति सारी,
पद्मो जेवां प्रभु चरणना संगथी दीप्ति धारी;
देखी भव्यो अति उलटथी हर्षनां आंसु लावे,
ते श्री पद्मप्रभु चरणमां हुं नमुं पूर्ण भावे.
७. श्री सुपार्श्वनाथ जिनस्तुति
आखी पृथ्वी सुखमय बनी आपना दर्श काळे,
भव्यो पूजे भय रहित थई आपने पूर्ण व्हाले;
पामे मुक्ति भवभय थकी जे स्मरे नित्यमेव,
नित्ये वंदुं तुम चरणमां श्री सुपार्श्वेष्ट देव.
८. श्री चंद्रप्रभ जिनस्तुति
जेवी रीते शशिकिरणथी चंद्रकांत द्रवे छे,
तेवी रीते कठीण हृदये हर्षनो धोध व्हे छे;
स्तवन मंजरी ][ ३