Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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देखी मूर्ति अमृतझरती मुक्तिदाता तमारी,
प्रीते चंद्रप्रभजिन मने आपजो सेव सारी.
९. श्री सुविधि जिनस्तुति
सेवा माटे सुरनगरथी देवनो संघ आवे,
भक्ति भावे सुरगिरि परे अष्ट पूजा रचावे;
नाट्यारंगे नमन करीने पूर्ण आनंद पावे,
सेवा सारी सुविधि जिननी कोणने चित्त ना’वे?
१०. श्री शीतल जिनस्तुति
आधि व्याधि प्रमुख बहुये तापथी तप्त प्राणी,
शीळी छाया शीतलजिननी जाणीने हर्ष आणी;
नित्ये सेवे मन वचन ने कायथी पूर्ण भावे,
कापी खंते दुरित गणने पूर्ण आनंद पावे.
११. श्री श्रेयांस जिनस्तुति
(शार्दूलविक्रीडित)
जे हेतु विण विश्वनां दुःख हरे, न्हाया विना निर्मळा,
जीते आंतर शत्रुने स्वबळथी, द्वेषादिथी वेगळा;
वाणी जे मधुरी वदे भवतरी गंभीर अर्थे भरी,
ते श्रेयांस जिणंदनां चरणनी चाहुं सदा चाकरी.
४ ][ श्री जिनेन्द्र