Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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१२. श्री वासुपूज्य जिनस्तुति
जे भेदाय न चक्रथी, न असिथी के इन्द्रना वज्रथी,
एवां गाढ कुकर्म हे जिनपते, छेदाय छे आपथी;
जे शान्ति नव थाय चंदन थकी ते शान्ति आपो मने,
वासुपूज्य जिनेश हुं प्रणयथी नित्ये नमुं आपने.
१३. श्री विमल जिनस्तुति
(मन्दाक्रान्ता छंद)
जेवी रीते विमल जळथी वस्त्रनो मेल जाय,
तेवी रीते विमलजिनना ध्यानथी नष्ट थाय;
पापो जूनां बहु भव तणां, अज्ञताथी करेलां,
ते माटे हे जिन तुज पदे पंडितो छे नमेला.
१४. श्री अनंत जिनस्तुति
जेओ मुक्तिनगर वसता काळ सादि अनंत,
भावे ध्यावे अविचलपणे जेहने साधु
संत;
जेनी सेवा सुरमणि परे सौख्य आपे अनंत,
नित्ये मारा हृदयकमले आवजो श्री अनंत.
१५. श्री धर्म जिनस्तुति
संसारांभोनिधि जळ विषे बूडतो हुं जिनेन्द्र,
तारो सारो सुखकर भलो धर्म पाम्यो मुनीन्द्र;
स्तवन मंजरी ][ ५